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23 जुलाई 2011

यूपी में नौकरी की गारंटी देने वाले कोर्स की हवा निकली

उत्तर प्रदेश की बदहाल होती शिक्षा प्रणाली का ही नतीजा है कि ढाई लाख रुपये फीस देने के बाद भी छात्र-छात्राएं सड़क पर हैं। बैंकिंग में स्केल-1 की जॉब की गारंटी हवा निकली। पहला बैच निकल गया और कोर्स का अनुमोदन तक नहीं कराया गया। यह तस्वीर है नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवेलपमेंट (नाबार्ड) की सोसाइटी बैंकर्स इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवेलपमेंट (बर्ड) में शुरू किए गए पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन रूरल बैकिंग (पीजीडीआरबी) की। नाबार्ड की तरफ से प्रमोटेड बर्ड 1983 में स्थापित किया गया था। यहां ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के लिए बैंक, एनजीओ आदि क्षेत्रों से जुड़े अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जाती थी। पिछले साल से बर्ड में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन रूरल बैकिंग (पीजीडीआरबी) कोर्स शुरू किया गया। इस कोर्स का कहीं से भी अनुमोदन नहीं कराया गया। चालीस सीटों के इस कोर्स में 22 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिया, इनमें दो ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। पूर्ण रूप आवासीय कोर्स की फीस 2.5 लाख रुपये ली गई। विद्यार्थियों ने बताया कि कोर्स शुरू होने से पहले बैंकिग क्षेत्र में स्केल-1 की नौकरी दिलाने का वादा किया गया। कोर्स शुरू होने के साथ ही दावों की हवा निकलना शुरू हो गई। छात्रों ने बताया फैकल्टी सदस्यों और बर्ड के प्रशासनिक अधिकारियों का रुख भी धीरे-धीरे बदलने लगा। रीजनल रूरल बैंक (आरआरबी) में छह लोगों की जॉब की बात की गई। आरआरबी में ट्रेनिंग तो हुई लेकिन वहां एक छात्र का भी प्लेसमेंट नहीं हुआ। नाबार्ड का नाम भी काम नहीं आया। बर्ड के डिप्टी जनरल मैनेजर सदाशिव प्रेम बैंक में प्लेसमेंट की बात कह रहे हैं(पारितोष मिश्र,दैनिक जागरण,लखनऊ,23.7.11)।

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