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15 जुलाई 2011

राजस्थानःकांस्टेबल भर्ती में गड़बड़ी पर जवाब-तलब

पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में कथित धांधली के मामले में उच्च न्यायालय ने तीन दिन में परीक्षा रिकॉर्ड तलब किया है। गृह सचिव, डीजीपी, एसपी सीकर, चयनित 17 अभ्यर्थी, एसपी कार्यालय के दो कांस्टेबल व प्रिंस स्कूल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी।

प्रकरण के मुताबिक पुलिस कांस्टेबल भर्ती के लिए पिछले साल संयुक्त विज्ञापन जारी हुए। 23 जनवरी 2011 को पुलिस अधीक्षक कार्यालय की ओर से लिखित परीक्षा कराई गई। कार्यालय से अभ्यर्थियों को अल्फाबेट नाम से रोल नंबर जारी नहीं किए। 23 अभ्यर्थी को एक ही सीरीज रोल नंबर 105923 से 105948 के तहत जारी कर दिए। इन सभी अभ्यर्थियों को एक ही परीक्षा केंद्र आबंटित किया गया और लिखित परीक्षा में सभी 23 अभ्यर्थी पास हो गए। फिर जुलाई प्रथम सप्ताह में सफल अभ्यर्थियों की शारीरिक परीक्षा ली गई तो उसमें भी इसी सीरीज 105923 से 105948 के 17 अभ्यर्थी चयनित हो गए।

इनके चयन पर संदेह हुआ तो वंचित अभ्यर्थियों हंसराज महला, सुनील कुमार वगैरह ने एडवोकेट अनूप ढंड व धर्मेंद्र बराला के जरिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। याचिका में आरोप लगाए गए हैं कि एसपी कार्यालय में पदस्थापित दो पुलिस कांस्टेबल द्वारा समस्त चयन प्रक्रिया में धांधली की गई है। ऐसे में मामले की सीबीआई जांच कराई जाए। यदि धांधली साबित होती है तो समस्त चयन प्रक्रिया को रद्द किया जाए। दोषियों के खिलाफ विभागीय व कानूनी कार्रवाई हो। यदि याचीगण मेरिट में आते हैं तो उन्हें नियुक्ति दी जाए। समस्त तर्को व तथ्यों को ध्यान में रखते हुए न्यायाधिपति मुनिश्वर नाथ भंडारी ने पुलिस विभाग, 17 चयनित अभ्यर्थी व प्रिंस स्कूल से तीन दिन में जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। सारा परीक्षा रिकार्ड हाईकोर्ट में पेश करने के भी आदेश दिए हैं।


सीकर में अब तक क्या?

चयनित कांस्टेबलों की सूची जारी होते ही वंचित अभ्यर्थियों की एसपी कार्यालय से लेकर डीजीपी तक की शिकायत के बाद जांच के आदेश हुए। मामले की जांच एएसपी शरद चौधरी कर रहे हैं, लेकिन प्रकरण अभी तक बयानों से आगे नहीं बढ़ पाया है। एएसपी की जांच टीम में इसी कार्यालय के कर्मचारियों को शामिल कर लिया गया है तो संदेह के घेरे में आए दोनों कांस्टेबल भी एसपी ऑफिस से अलग नहीं किए गए हैं। ऐसे में वंचित अभ्यर्थी व अन्य लोग जांच पर सवाल उठाने लग गए हैं।

आरोप है कि जांच में जानबूझ कर ढिलाई बरती जा रही है। वंचित अभ्यर्थियों की मांग है कि मामले की जांच सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी से करानी चाहिए। पूरे प्रकरण में एसपी कार्यालय के दो कार्मिकों के साथ परीक्षा सेंटर और कोचिंग भी वंचित अभ्यर्थियों की शिकायत के आधार पर संदेह के दायरे में हैं और आरोप है कि सेंटर पर नकल कराई गई है। अभी यह खुलासा होना बाकी है कि इस प्रकरण में और कौन कौन लोग शामिल हैं(दैनिक भास्कर,सीकर,15.7.11)।

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