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04 जुलाई 2011

मध्यप्रदेशःबिना शिक्षकों के चल रहे हैं स्कूल

सीधी जिले की कठलाहवा प्राथमिक शाला में कोई शिक्षक नहीं है। पास के ही एक स्कूल के शिक्षक को उक्त स्कूल का दायित्व सौंप रखा है। रीवा जिले का हाईस्कूल बेहरावत प्रभारी प्राचार्य के भरोसे चल रहा है। शासकीय स्कूलों में शिक्षा के बुरे हाल है। किसी स्कूल में शिक्षक नहीं है, तो कई स्कूल एक शिक्षक के ही भरोसे चल रहे है। बिना शिक्षकों के स्कूल व एक शिक्षक के भरोसे स्कूल चलने पर तीन से चार सौ बच्चों को पढ़ाने की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। राज्य सरकार शासकीय स्कूलों की सुदृढ़ व्यवस्था करने के लाख दांवे कर रही हो, लेकिन शासकीय स्कूलों में छात्रों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम वर्ष 2010 में लागू हो चुका है। अधिनियम को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कई बार डेढ़ लाख नए शिक्षकों की भर्ती का ऐलान कर चुके है। लेकिन उस पर वर्ष 2011 के नए शिक्षा सत्र में भी अमल नहीं किया गया है। प्रदेश में प्रायमरी व मिडिल स्कूलों में शिक्षकों की संख्या करीब 2 लाख 87 हजार है। जबकि प्रदेश में आठवीं तक छात्रों की संख्या 1 करोड़ 64 लाख चार हजार है। संख्या अनुपात से प्रदेश में 38 छात्रों पर एक शिक्षक है। जबकि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अनुसार 30 छात्रों पर एक शिक्षक होना चाहिए। इसके लिए करीब डेढ़ लाख शिक्षकों की आवश्यकता होगी। 

अतिथि शिक्षकों से चल रहा काम : 
शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की कमी को देखते हुए जिला शिक्षा अधिकारियों को अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। स्थायी व्यवस्था न होने से अतिथि शिक्षक भी बच्चों को पढ़ाने में ज्यादा रूचि नहीं लेते है(नीरज गौड़,दैनिक जागरण,भोपाल,4.7.11)।

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