मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

04 जुलाई 2011

नागपुर में सूदखोरों का निशाना बन रहे छात्र

नागपुर में सूदखोर गिरोह सक्रिय हैं। बिना लाइसेंस के साहूकारी कर रहे इन गिरोहों के लोग शहर के इंजीनियरिंग और मेडिकल कालेजों के विद्यार्थियों के साथ-साथ शहर के छोटे कारोबारियों को अपने जाल में फांस रहे हैं और 10 से 30 रुपए प्रति सैकड़ा तक का ब्याज वसूल रहे हैं।

रकम न चुकाने पर इस गिरोह के लोग विद्यार्थियों को डरा धमकाकर और किराये के गुंडों के द्वारा उनपर हमला कर दहशत फैला रहे हैं।

दहशत का आलम यह है कि सूदखोरों के जाल में फंसे शहर के इंजीनियरिंग कालेजों के कई विद्यार्थी शहर छोड़ कर भागने को मजबूर हो गए हैं। आईपीएल में सट्टा लगाने के लिए सूदखोरों से लिए रुपए न चुका पाने के कारण दो महीने पूर्व उपराजधानी के एक प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कालेज के विद्यार्थी ने आत्महत्या तक कर ली थी।

सूदखोरों से लिए गए कर्ज को चुकाने के चक्कर में इंजीनियरिंग कालेजों के कई विद्यार्थी चेन स्नैचिंग और बाइक चोरी करते हुए भी पुलिस द्वारा पकड़े जा चुके हैं। पर प्रशासन शहर के इंजीनियरिंग और मेडिकल कालेजों के पास फैल रहे सूदखोरों के जाल पर रोक नहीं लगा पाया है और साहूकारों का धंधा बेलगाम जारी है।

परिवार के लोगों को भी दी जाती है धमकी


शहर के एक प्रतिष्ठित मेडिकल कालेज में एमबीबीएस द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी के पिता मार्बल व्यवसायी हैं। छात्र को सूदखोरों ने रुपए उधार दिए और एवज में बैंक के तीन कोरे चेक ले लिए। ब्याज पर ब्याज चढ़ता रहा और छात्र सूदखोरों के जाल में फंस गया। अंत में दहशत में आकर वह शहर छोड़ कर भाग गया। आरोपियों ने बैंक में तीन लाख की राशि भरकर चेक लगा दिए और छात्र के पिता को धमकाना शुरू किया।
छात्र के पिता ने रसूखदारों को तीन लाख रुपए चुका कर किसी तरह पिंड छुड़ाया। इसके बाद ही शहर छोड़ कर भागा विद्यार्थी किसी तरह से अपने घर पहुंचा। इसी तरह रामदासपेठ में रहने वाले शहर के एक प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कालेज के दो विद्यार्थी भी सूदखोरों के जाल में फंस गए। उधार में मिले रुपए से गलत आदत लग गई। 

सूदखोरों को चुकाने के लिए तीन खाली चेक दे दिए और घर से चोरी चुपके से रुपए चुकाने लगे। पर जब सूदखोरों को रुपए चुकाने में वे असमर्थ हो गए तो सूदखारों ने इंजीनियरिंग कालेज के बाहर दोनों के साथ जमकर मारपीट की और बाइक छीन ली। दोस्त ने बाइक चोरी की कहानी बनाकर घरवालों को बता दी। परंतु फिर भी राशि चुकता नहीं हुई। बात घर तक पहुंची परिजनों ने रुपए देकर बाइक छुड़ाई और शेष राशि भी दी। 

यूं फांसता है गिरोह

सूदखोर विद्यार्थियों को निजी जरूरतों तथा पार्टी आदि के लिए रुपए ब्याज पर देते हैं। रुपए देते समय एक महीने का ब्याज अग्रिम ले लिया जाता है। इसके बाद हर महीने ब्याज वसूलने का सिलसिला शुरू हो जाता है। 

कई बार तो तय समय पर रुपया न चुकाने पर विद्यार्थियों से प्रतिदिन के हिसाब से पेनाल्टी वसूलते हैं। छात्रों के हाथ में रुपए आने से वे क्रिकेट सट्टा व जुआ भी खेलने लगते हैं। धीरे-धीरे गिरोह के हाथ एक छात्र की दूसरे छात्र द्वारा जमानत या दूसरे छात्र को उधार देकर पहले छात्र से रकम की वसूली कर लेते हैं।

क्या है कानून

राज्य में साहूकारी नियमन (निजी स्तर पर ब्याज पर ऋण देना) अधिनियम-1946 के तहत बिना लाइसेंस ब्याज पर ऋण देने का कार्य दंडनीय अपराध है। आरोप सिद्ध होने पर साहूकार को दो साल तक की सजा हो सकती है।

शिकायत मिलने पर बिना लाइसेंस के साहूकारी कर रहे लोगों के विरुद्ध साहूकारी नियमन अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
डी. झलके, पुलिस उपायुक्त (आर्थिक अपराध शाखा)(दैनिक भास्कर,नागपुर,4.7.11)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।