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30 जुलाई 2011

मदरसे तो शिक्षा का अधिकार कानून के तहत आते ही नहीं

मदरसों और दूसरे अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में शिक्षा का अधिकार कानून की मुखालफत का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि मदरसे इस कानून के दायरे से ही बाहर हैं। दारुल उलूम, देवबंद के नव नियुक्त मोहतमिम (कुलपति) मुफ्ती अब्दुल कासिम नोमानी की ओर से इस कानून के विरोध के एलान के बाद केंद्र सरकार ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने शुक्रवार को यहां एक बयान में कहा कि वह तो बीते साल 23 नवंबर को जारी दिशानिर्देश में ही यह स्पष्ट कर चुका है कि संविधान के अनुच्छेद 29 व 30 के तहत मदरसे शिक्षा का अधिकार कानून के दायरे से बाहर हैं। इसका उल्लेख कानून की धारा 35 (1) में किया गया है। मंत्रालय का कहना है कि यह कानून मदरसों में दी जाने वाली शिक्षा के आड़े नहीं आता। वहां धार्मिक शिक्षा दी जाती है। कानून की धारा-2 (एन) में स्कूल को परिभाषित किया गया है और मदरसे स्कूल की उस परिभाषा में नहीं आते। कानून में सभी सरकारी या सरकार से सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए स्कूल प्रबंधन समिति बनाना अनिवार्य है। जबकि सरकारी सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों के मामले में यह सिर्फ सलाहकारी होगा(दैनिक जागरण,दिल्ली,30.7.11)।

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