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06 जुलाई 2011

उत्तराखंडःआयुर्वेदिक डाक्टरों को नियमित भर्ती में आयु सीमा में दस वर्ष की छूट

संविदा में तैनात आयुव्रेदिक डाक्टरों को अब सरकारी सेवा में दिए गए योगदान का लाभ मिल सकेगा। सरकार ने नियमित नियुक्त के लिए उन्हें अधिकतम आयु सीमा में दस वर्ष की छूट दे दी है। इसके साथ ही आयुव्रेदिक कालेजों में शिक्षकों को भी यूजीसी के समकक्ष वेतनमान लागू कर दिया है। वर्तमान में प्रदेश में आयुव्रेदिक विभाग में डाक्टरों के कुल 759 पद है। जिसमें 400 पद भरे हुए हैं। इनमें 173 स्थाई व 227 तदर्थ हैं। विभाग में डाक्टरों के 359 रिक्त पदों में से 337 पदों में नियमित नियुक्ति के लिए विगत वर्ष लोक सेवा आयोग को प्रस्ताव भेजा गया था। विभाग में वर्ष 1989 के बाद से अब तक आयोग की ओर से डाक्टरों की कोई भर्ती नहीं की गई। संविदा पर ही डाक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वर्तमान में विभाग में संविदा पर 96 डाक्टर कार्य कर रहे हैं। जबकि एनआरएचएम के तहत आयुष विभाग में 175 आयुव्रेदिक व 8 यूनानी डाक्टर और एलोपैथिक अस्पतालों में 141 आयुव्रेदिक डाक्टर संविदा पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसको देखते हुए शासन ने लोक सेवा आयोग की ओर से की जा रही भर्ती के लिए अधिकतम आयु सीमा 35 वर्ष से बढ़ाकर 45 वर्ष कर दिया है। भर्ती के लिए पूर्व निर्धारित क्षैतिज आरक्षण के दायरे में आने वालों को भी दस वर्ष का लाभ दिया जाएगा। इसके साथ ही आयुव्रेदिक कालेजों में कार्य कर रहे शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए उनके वेतनमान को यूजीसी के वेतनमानों के समक्षक कर दिया है। नई व्यवस्था के तहत प्रवक्ता को पूर्व निर्धारित वेतन ही दिया जाएगा। जबकि रीडर को वेतन बैंड 15,600-39,000 ग्रेड पे 6600 से बढ़ाकर 8,000 कर दिया गया है। प्रोफेसर को वेतन बैंड तीन से चार में परिवर्तित किया गया है। उन्हें अब वेतन बैंड 15600-39,100 ग्रेड पे 7600 से वेतन बैंड 37400- 67,000 ग्रेड पे 10,000 दिया गया है। प्राचार्य को भी प्रोफेसर वाला वेतन बैंड लागू किया गया है, लेकिन उन्हें तीन हजार रुपये का अतिरिक्त भत्ता दिया गया है(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,6.7.11)।

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