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04 जुलाई 2011

यूपीःसीपीएमटी अभ्यर्थियों को राहत

कंबाइंड प्री मेडिकल टेस्ट (सीपीएमटी) के हजारों अभ्यर्थियों के लिए राहत मिली है। सीपीएमटी के परिणाम में कैटेगरी रैंक (आरक्षित वर्ग के छात्रों के लिए अलग से बनने वाली रैंक) को लेकर जो गड़बडि़यां थीं, उन्हें बुंदेलखंड विवि ने सुधार दिया है। बीती एक जुलाई को शाम सात बजे अपडेट किया हुआ रिजल्ट विवि की वेबसाइट पर डाल दिया गया है। ध्यान रहे इस बार सीपीएमटी आयोजित कराने का जिम्मा बुंदेलखंड विवि का था। लगभग 61 हजार अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। 15 जून को इसका परिणाम आया था। अभ्यर्थी अंकतालिका को लेकर संतुष्ट थे लेकिन कैटेगरी रैंक में गड़बड़ी को लेकर उनमें असंतोष था। इस मुद्दे को 22 जून को दैनिक जागरण ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। मामले की गंभीरता को समझते हुए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने भी इसका संज्ञान लिया। अपर निदेशक डॉ. केसी रस्तोगी के मुताबिक परिणाम निकलने के बाद उनके पास तमाम अभ्यर्थियों की शिकायतें पहुंची थीं। सभी अभ्यर्थियों की शिकायत कैटेगरी रैंक को लेकर थी। डॉ. रस्तोगी ने बताया कि जब अभ्यर्थियों की शिकायतें सही पाई गई तो निदेशालय की ओर से बुंदेलखंड विवि को रिजल्ट को सुधारने के निर्देश दिए गए थे। उन्होंने बताया कि इससे पहले सीपीएमटी में ऐसी गलती कभी नहीं हुई थी। 

रैंक से बदलती है किस्मत : 
सीपीएमटी में सीमित सीटें हैं। लिहाजा काउंसिलिंग के दौरान रैंक की भूमिका अहम है। एक रैंक के अंतर से कॉलेज बदल सकता है। महज एक रैंक से पीछे होना किसी का एक साल खराब कर सकता है। क्या थी गलती : छात्रों को गलती तब पकड़ में आई जब उन्होंने अपने ही कुछ साथियों के नतीजे देखे। कुछेक अभ्यर्थियों की कैटेगरी रैंक ऐसे अभ्यर्थियों से नीचे (खराब) थी, जो जनरल रैंक में उनसे काफी पीछे थे। नियमत: जो जनरल रैंक में आगे होता है वही कैटेगरी रैंक में भी आगे रहता है(दैनिक जागरण,लखनऊ,4.7.11)।

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