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09 जुलाई 2011

बिहारःसंस्कृत बोर्ड के खिलाफ हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी

पटना उच्च न्यायालय ने निजी विद्यालयों को मान्यता दिये जाने के मुद्दे पर संस्कृत शिक्षा बोर्ड के कार्यपण्राली पर कड़ी टिप्पणी की है। न्यायालय ने कहा है कि जिस हिसाब से बोर्ड काम कर रहा है वह ठीक नहीं है। वह स्कूलों के फाइलों को बेवजह दबाये रखता है जिससे मान्यता दिये जाने का मामला महीनों लंबित रहता है। बोर्ड का काम दस्तावेजों की जांच कर राज्य सरकार के पास भेजने का है। जिससे वह उस विद्यालय को मान्यता दिये जाने पर विचार कर सके। न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह व न्यायमूर्ति शिवाजी पांडे की पीठ ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव व मानव संसाधन विभाग के सचिव से कहा कि वे बोर्ड की कार्यपण्राली में सुधार को लेकर ठोस कदम उठाये। इस बाबत उचित कार्रवाई भी करे। उसने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह दो महीने के भीतर मान्यता दिये जाने से संबंधी सभी मामलों का निष्पादन कर दें। उसने बोर्ड से कहा कि वह एक हफ्ते के भीतर मान्यता दिये जाने संबंधी सभी दस्तावेज राज्य सरकार के हवाले कर दे। न्यायालय ने सरकार को यह दिशानिर्दे श गिरिजा देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिकाकर्ता के वकील हरीश कुमार ने न्यायालयसे कहा था कि उसके मुवक्किल का स्कूल मान्यता दिये जाने को लेकर सभी अहर्ताएं पूरी करता है फिर भी बोर्ड मान्यता दिये जाने संबंधी दस्तावेजों को सरकार के पास नहीं भेज रहा है। बोर्ड से कहा जाय कि वह उसके स्कूल का दस्तावेज राज्य सरकार के पास भेजे जिससे वह मान्यता दिये जाने पर विचार कर सके(राष्ट्रीय सहारा,पटना,9.7.11)

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