मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

21 जुलाई 2011

IAS, IPS कोटा नियमों से न हो छेड़छाड़ःसुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपने एक अहम फैसले में कहा है कि आईएएस और आईपीएस जैसी अखिल भारतीय सेवाओं के लिए सरकार को सामान्य या आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए बने आरक्षण संबंधी नियमों में छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए।

तयशुदा सीमा से ज्यादा आरक्षण देना गैरकानूनी

शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसा करना संविधान का उल्लंघन होगा। जस्टिस आरवी रवींद्रन और जस्टिस एके पटनायक की बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि सामान्य, एससी-एसटी और ओबीसी अभ्यर्थियों के लिए रोस्टर सिस्टम का कड़ाई से पालन होना चाहिए और कोटे की तयशुदा सीमा से ज्यादा आरक्षण देना गैरकानूनी तथा असंवैधानिक है। जस्टिस पटनायक ने कहा कि रोस्टर सिस्टम के जरिए सामान्य और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को एक समान अवसर मुहैया कराया जाता है।

अगर रोस्टर सिस्टम को नजरअंदाज किया जाता है तो यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 (1) के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन माना जाएगा। शीर्ष अदालत ने यह फैसला आईपीएस अधिकारी जी श्रीनिवास राव की याचिका पर दिया। सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थी राव ने अपनी इस याचिका में केंद्र सरकार के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें 27 अक्तूबर 1999 को उन्हें उनके गृह (होम) कैडर आंध्रप्रदेश के बजाए मणिपुर-त्रिपुरा ज्वाइंट कैडर आवंटित कर दिया गया। राव ने सिविल सेवा परीक्षा, 1998 में 95वीं रैंक हासिल की थी जबकि 95वीं रैंक हासिल करने वाले दूसरे ओबीसी अभ्यर्थी को आंध्रप्रदेश कैडर आवंटित कर दिया गया।

केंद्र सरकार ने यह कहते हुए अपने फैसले का बचाव किया कि चूंकि 1998 में ओबीसी का कोटा पूरा नहीं हुआ था इसलिए इस वर्ग के अभ्यर्थियों को दो अतिरिक्त कोटा दे दिया गया। बेंच ने आईपीएस (कैडर) रूल्स, 1954 की व्याख्या करते हुए कहा कि 31 मई 1985 को केंद्र की ओर से जारी सर्कुलर के पैरा-3 के क्लॉज-2 में यह स्पष्ट किया गया है कि एससी और एसटी अभ्यर्थियों के लिए विभिन्न कैडरों में तयशुदा प्रतिशत के मुताबिक रिक्तियां (वैकेंसी) आरक्षित रहेंगी। शीर्ष अदालत हालांकि आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट के इस विचार से सहमत हो गई कि राव को अब इतनी देरी हो जाने के बाद किसी तरह की राहत नहीं दी जा सकती है, क्योंकि उन्होंने कैडर अलॉटमेंट के दो साल बाद मुकदमा दायर किया था(अमर उजाला,21.7.11)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।