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01 अगस्त 2011

बिहारः1 लाख युवकों को मिलेगा रोजगार

राज्य सरकार की रोजगार मेले की योजना पूरे देश में सराही जा रही है। देश भर की सौ से अधिक कंपनियां बिहारी मेधा को गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्र, दिल्ली, चेन्नई, मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में चयन कर ले गई हैं। चालू वित्तीय वर्ष में श्रम संसाधन विभाग द्वारा तैयार रोड मैप के तहत निजी कंपनियों द्वारा एक लाख युवकों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है। हाल ही में छपरा, सीवान व गोपालगंज जिले में आयोजित नियोजन मेले से 5300 लोगों को रोजगार मिले और इससे लीबिया से लौटे बिहारी मजदूर भी लाभान्वित हुए। पिछले दो वित्तीय वर्ष के दौरान रोजगार मेले के जरिए एक लाख से अधिक युवकों को रोजगार दिया जा चुका है। खास है कि वित्तीय वर्ष में 2010-11 में 61189 युवकों को रोजगार परोसा गया है। बिहार में निजी कंपनियों द्वारा किसी एक वर्ष में रोजगार उत्पादन की यह रिकार्ड संख्या है। निजी कंपनियां दरवाजे पर आकर नौकरियां दे रही हैं। रोजगार मेले के कांसेप्ट ने केन्द्र सरकार को भी आकषिर्त किया है। बिहारी युवकों को निजी क्षेत्रों में रोजगार मिलने के पीछे यहां तकनीकी शिक्षण संस्थानों में सुधार एक बड़ा कारण है। अब राज्य सरकार आईटीआई के प्रति विशेष ध्यान दे रही है। एक समय यहां एक-एक कर उद्योग धंधे बंद हो जाने से आईटीआई जैसे तकनीकी शिक्षा के प्रति आकषर्ण कम हो गया था। किंतु राजग सरकार में श्रम संसाधन विभाग ने आईटीआई को दुरुस्त करने व नये आईटीआइ की स्थापना पर खासा जोर दिया है। आईटीआई दीघा का उन्नयन बीआईटी मेसरा कर रहा है। पिछले पांच वर्षो में कई सरकारी व निजी आईटीआई की स्थापना की गई। वर्ष 2005 के पहले सूबे में 28 सरकारी आईटीआई थे, जिनकी संख्या बढ़कर 53 हो गई है। निजी आईटीआई की संख्या 353 हो गई है। उल्लेखनीय है कि वित्तीय वर्ष 2008-09 में पहली बार सूबे में आईटीआई में दस हजार सीटें भर पाई, जो प्रदेश के लिए एक रिकार्ड थी। वर्ष 2004-05 में नीतीश सरकार गठन के पहले आईटीआई में मुश्किल से 2500 सीटें भर पाती थीं, किंतु अब सरकारी क्षेत्र के आईटीआई में 16000 सीटें कम पड़ रही हैं। निजी क्षेत्र के आईटीआई में 35000 छात्रों ने नामांकन लिया है। वित्तीय वर्ष 2007-08 में आईटीआई में करीब 7000 सीटें निर्धारित थीं, किंतु 3900 छात्रों ने ही नामांकन लिया। उस समय तक सूबे में छात्र तकनीकी शिक्षण के प्रति आकषिर्त नहीं हो रहे थे। किंतु बदले परिवेश को देखते हुए वर्ष 2008-09 में आईटीआई में दस हजार सीटें भर गईं और उसके बाद सीटों की संख्या में बढ़ोतरी जारी है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में यह संख्या 16000 तक पहुंच गई है। नये वर्ष में नियोजन मेले की शुरुआत छपरा से हुई। यहां छह जनवरी को आयोजित रोजगार मेले में 3100 से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र मिले। सात जनवरी को सीवान में आयोजित रोजगार मेले में 2750 लोगों को रोजगार मिला। गोपालगंज में आठ जनवरी को आयोजित रोजगार मेले में 2900 युवाओं को रोजगार दिया गया। इस तरह तीन दिनों (6-7-8 जनवरी) के अंदर तीन जिलों में आयोजित रोजगार मेला के जरिए करीब 9000 लोगों को रोजगार दिया गया। श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी का कहना है कि रोजगार मेले के जरिए इस बार रिकार्ड संख्या में नौकरियां मिल रही हैं। युवाओं में काफी उत्साह है। निजी कंपनियां भी बिहारी मेधा को नियुक्ति-पत्र बांटने में कंजूसी नहीं दिखा रही हैं। रोजगार मेले की शुरुआत 8-9 अगस्त 2008 को पटना में प्रमंडल स्तरीय रोजगार मेले से हुई थी, जिसमें 27 नियोजकों ने भाग लिया था। इस मेले में अस्सी हजार आवेदन आए और कुल 1015 आवेदकों को रोजगार मिला। इसके बाद 17- 18 दिसंबर 2008 को पटना में नियोजन मेले का आयोजन किया गया, जिसमें 38 नियोजकों ने भाग लिया। इस मेले में रोजगार के लिए 34176 आवेदन आए तथा 1200 युवाओं को रोजगार मिला। सारण, दरभंगा व तिरहुत प्रमंडलों में भी नियोजन मेले के जरिए करीब 1000 लोगों को रोजगार मिला। इस तरह वर्ष 2008 में करीब तीन हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिला। इसके बाद जुलाई 2009 से सितंबर 2009 के बीच सहरसा, छपरा, पूर्णिया और गया में चार प्रमंडल स्तर के रोजगार मेले का आयोजन किया गया था। इन चारों मेले के लिए करीब 55 नियोजकों ने शिविर लगाकर 6000 से अधिक नौकरियां बांटीं। अन्य पांच प्रमंडलों में भी नियोजन मेले के जरिये करीब 6000 लोगों को रोजगार मिला। इस तरह वर्ष 2009 में करीब 1200 लोगों को रोजगार मिला। अब राज्य सरकार ने नई रणनीति के तहत सभी जिलों में रोजगार मेला आयोजित करने का फैसला किया है। मुजफ्फरपुर 24 अगस्त, 11 वैशाली 25 अगस्त बक्सर 26 अगस्त आरा 27 अगस्त डालमिया नगर 5 सितंबर कैमूर 6 सितंबर गया 7 सितंबर औरंगाबाद 8 सितंबर अरवल 9 सितंबर जहानाबाद 10 सितंबर अगले रोजगार मेले का कार्यक्रम ‘वित्तीय वर्ष 2011-12 में निजी कंपनियां रिकार्ड संख्या में नौकरियां दे रही हैं(संजय त्रिपाठी,राष्ट्रीय सहारा,पटना,1.8.11)।

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