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01 अगस्त 2011

नोएडाःहाथ से निकल गया आवासीय कोचिंग प्रोजेक्ट

उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम प्रबंधन की अदूरदर्शिता के कारण नोएडा में आवासीय कोचिंग चलाने का एक बड़ा प्रोजेक्ट उसके हाथ से निकल गया है। औद्योगिक क्षेत्र होने की वजह से निगम को यहां इस तरह की योजना संचालित कराने से रोक दिया गया है। ऐसे में इंजीनियरिंग, मेडिकल, आईएएस, आईपीएस समेत तमाम अन्य कम्प्टीशन एवं कोर्सेज की तैयारी के लिए कोचिंग करने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को अब नोएडा जैसे शहर में कोचिंग के साथ ही आवासीय सुविधा मिलने का सपना खाक में मिल गया है। उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक वित्तीय विकास निगम नोएडा में जल्द ही उक्त आवासीय योजना को मूर्त रूप देने में लगा था, मगर लैण्ड यूज के कानून के आड़े आने से यह प्रोजेक्ट ही अधर में फंस गया। अब निगम प्रबंधन चाहकर इस मूर्त रूप दिला नहीं पायेगा, क्योंकि निगम को इसके लिए एनओसी नहीं मिल पायी है। उक्त योजना को ध्यान में रखकर निगम ने नोएडा में पड़े अपने एक भूखण्ड पर एक आलीशान भवन तैयार कराया था। इसमें न सिर्फ छात्रों को टिकने की सुविधा देने की योजना थी,बल्कि कोचिंग के क्लासेज भी इसी परिसर में चलने की भी व्यवस्था करायी जानी थी। निगम इस तरह का पहला बैच इस वित्तीय वर्ष सत्र से प्रारम्भ करने की फिराक में था। निगम के एक अधिकारी के मुताबिक उक्त भवन के निर्माण के लिए राज्य सरकार से उसे एक करोड़ रुपया मिला था। इसके बाद भवन निर्माण भी पूरा करा लिया गया और किसी ऐसे कोचिंग संचालक की तलाश की जा रही थी कि जो निगम की शतोर्ं के मुताबिक इसे चलाए। मगर इसके लिए भी दिये टेण्डर भी अब ठण्डे बस्ते में डाल दिये गये है। हालांकि जिन लोगों ने इसके लिए टेण्डर डाले थे वह इसे हासिल करने के लिए अभी निगम के चक्कर काट रहे हैं और उन्हें निगम की तरफ से इस बारे में यह नहीं बताया गया है कि अब इस प्रोजेक्ट को ही रोक दिया गया है। दूरदराज के रहने वाले सम्बन्धित छात्रों को निगम द्वारा आवंटित कोचिंग सेण्टर में ही जाना पड़ता। ऐसे कोचिंग सेण्टर को छात्र को कोई फीस नहीं देना पड़ती। यह फीस निगम अदा करता है। मगर दूरदराज के अल्पसंख्यक छात्रों को इस कोचिंग के लिए अपने स्तर से सम्बधित जिलों में ठहरने की व्यवस्था करनी पड़ती है। इसमें कोचिंग सेण्टर के करीब रहने के लिए सम्बन्धित छात्र को हास्टल या कमरा आदि के किराये के नाम पर काफी बड़ी रकम खर्च करनी पड़ी है। सूत्रों के मुताबिक वर्ष 1987 में प्रदेश निगम ने उक्त भूखण्ड खरीदा था। तब इस पर अस्थायी स्ट्रक्चर बनाकर रेडीमेड गारमेण्ट का काम शुरू कराया गया था। इसमें भी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को जोड़कर इसका प्रशिक्षण देने के साथ इसमें तैयार माल को मार्केट में बेचकर इस स्कीम को चलाते रहना था। मगर बहुत दिनों तक यह कारोबार चल नहीं पाया। रेडीमेड गारमेण्ट का मिशन फेल हुआ तो अब निगम इसका इस्तेमाल इस रूप में करने में जुटा है। हालांकि प्रदेश निगम ने नोएडा में इस भूखण्ड को पहले केन्द्र सरकार के आधीन राष्ट्रीय अल्पसंख्यक वित्तीय विकास निगम को सौंपकर आवासीय कोचिंग सेण्टर चलाने का प्रस्ताव रखा था(अफरोज रिजवी,राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,1.8.11)।

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