निलई इंजीनियरिंग कॉलेज, ठाकुरगांव मात्र 10 शिक्षकों के सहारे चल रहा है। रांची से 25 किमी की दूरी पर स्थित कॉलेज नक्सल प्रभावित क्षेत्र में है। इस वजह से छात्र एडमिशन नहीं ले रहे हैं।
18 जुलाई से झारखंड झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद द्वारा नामकुम स्थित पर्षद कार्यालय में काउंसिलिंग जारी है, लेकिन एक भी छात्र उसमें एडमिशन नहीं ले रहे हैं। यहां 480 सीटों पर इस सत्र में एडमिशन लेने के लिए एआईसीटीई से एप्रूवल मिला है।
यहां कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन, सिविल, इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रानिक्स और मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई होती है। प्रबंधन इस वर्ष से एमबीए की पढ़ाई शुरू करने की योजना बना रहा है।
पहले बैच में मात्र 116 छात्र
पहले बैच में मात्र 116 छात्रों ने ही एडमिशन लिया है। इसमें मैकेनिकल में 60, सिविल में 20, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में 21 और कंप्यूटर साइंस में 15 छात्र शामिल हैं। ज्यादातर स्टूडेंट बिहार और दूसरे प्रदेशों के हैं।
आवागमन का कोई साधन नहीं : कॉलेज परिसर दूर है। यहां तक पहुंचने का साधन भी जल्दी नहीं मिलता है।
हॉस्टल नहीं : यहां छात्राओं के लिए हॉस्टल तक नहीं है। यहां करीब 15 छात्राएं हैं जो डर से रांची में रहती है।
आठ अगस्त तक होगी काउंसिलिंग : स्नातक अभियंत्रण समूह के लिए काउंसिलिंग 8 अगस्त तक चलेगी। पर्षद द्वारा कुल 34,497 विद्यार्थियों की काउंसिलिंग ली जाएगी।
स्टाल का भी असर नहीं : नामकुम स्थित पर्षद के कार्यालय में काउंसिलिंग चल रही है। यहां इसके लिए स्टॉल भी लगाए गए हैं, लेकिन कोई जानकारी लेने नहीं आता।
धीरे-धीरे बदलेगी स्थिति
झारखंड कंबाइंड से अबतक एक भी छात्र का एडमिशन नहीं हुआ है। हालांकि अभी रांची के अलावा भूटान और नेपाल के काठमांडू में काउंसिलिंग चल रही है। जहां तक एडमिशन नहीं होने की बात है, इसका मुख्य कारण कॉलेज का नक्सल प्रभावित क्षेत्र में होना है। शुरुआत में परेशानी जरूर है, पर धीरे- धीरे स्थिति बदलेगी।""
भीम मुंडा चेयरमैन, निलई एजुकेशनल ट्रस्ट(दैनिक भास्कर,रांची,1.8.11)।
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