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21 अगस्त 2011

बिहारः23 हजार मध्य विद्यालयों में शिक्षक बनेंगे हेडमास्टर

राज्य के करीब तेईस हजार मध्य विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों की कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने शिक्षकों की सेवा अवधि और योग्यता में शिथिलीकरण करने का फैसला किया है। इस फैसले को कैबिनेट से मंजूरी दिलाने के लिए मानव संसाधन विकास विभाग ने एक प्रारूप तैयार किया है। इस प्रारूप के तहत राज्य के मध्य विद्यालयों में स्नातक वेतनमान में न्यूनतम 5 वर्षो की सेवा अनुभव वाले शिक्षकों में से स्नातकोत्तर योग्यताधारी शिक्षकों को वरीयता के आधार पर मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति दी जायेगी। नये संशोधित नियमावली में जिलास्तर पर गठित प्रोन्नति समिति के अध्यक्ष पद से जिला पदाधिकारी को मुक्त कर यह जिम्मेवारी जिला शिक्षा पदाधिकारी को दी गयी है। मानव संसाधन विकास विभाग ने राज्य के राजकीयकृत प्रारंभिक विद्यालयों में कार्यरत जिला संवर्ग के शिक्षकों की प्रोन्नति हेतु बिहार राजकीयकृत प्रारंभिक विद्यालय शिक्षक प्रोन्नति नियमावली में संशोधन किया है। नये संशोधित नियमावली में जिलास्तर पर गठित प्रोन्नति समिति के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी जिला शिक्षा पदाधिकारी को दी गयी है। फिलहाल राज्य के राजकीयकृत प्रारंभिक विद्यालयों में वेतनमान में कार्यरत जिला संवर्ग के शिक्षकों की प्रोन्नति, नियमावली 1993 के आलोक में की जा रही है। नियमावली के मुताबिक जिला पदाधिकारी प्रोन्नति समिति के अध्यक्ष हैं। वहीं वरीय एवं प्रवरण वेतनमान की प्रक्रिया को सरल करते हुए मैट्रिक व इन्टरमीडिएट कोटि एवं स्नातक कोटि के शिक्षकों को 12 वर्षो पर प्रथम वित्तीय उन्नयन तथा 24 वर्षो पर द्वितीय वित्तीय उन्नयन देने का प्रावधान किया गया है। हाल ही में मुख्यमंत्री ने मानव संसाधन विकास विभाग की समीक्षा के क्रम में यह निर्णय लिया था कि जिला पदाधिकारी की व्यस्तता एवं भूमिका को देखते हुए प्रोन्नति समिति का अध्यक्ष विभागीय पदाधिकारी को ही बनाया जाये। साथ ही शिक्षा संवर्ग के पुनर्गठन किये जाने के फलस्वरूप नई पद संरचना एवं पदनाम के अनुसार भी प्रोन्नति समिति का पुनर्गठन हो। मालूम हो कि प्रारंभिक विद्यालयों के शिक्षकों की प्रोन्नति नियमावली 1993 के अनुसार प्रत्येक कोटि में 12 वर्षो की सेवा के पश्चात वरीय वेतनमान दिये जाने का प्रावधान है। इसमें वरीय वेतनमान प्राप्त शिक्षकों में से केवल 20 प्रतिशत शिक्षकों को ही प्रवरण वेतनमान देने की व्यवस्था है। अधिकाश: जिलों में प्रवरण वेतनमान में 20 प्रतिशत की गणना करने में प्रक्रियात्मक विलंब के कारण शिक्षकों को प्रवरण वेतनमान में प्रोन्नति नहीं दी जा सकी है। इसे सरल करते हुए सभी शिक्षकों को 12 वर्षो पर वरीय वेतनमान एवं 24 वर्षो पर प्रवरण वेतनमान स्वीकृत होना है। वर्तमान नियमावली के अनुसार स्नातक वेतनमान में न्यूनतम 5 वर्षो की सेवा अनुभव वाले कार्यरत शिक्षकों में से स्नातकोत्तर योग्यताधारी शिक्षकों को वरीयता के आधार पर मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक के पद पर प्रोन्नति दी जा सकती है। अधिकांश जिलों में स्नातक वेतनमान में ही प्रोन्नति नहीं दी जा सकी है। इसलिए स्नातक वेतनमान में प्रोन्नति प्राप्त शिक्षकों में से पांच वर्षो की न्यूनतम सेवा वाले स्नातकोत्तर शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं। इस कारण राज्य के 26000 मध्य विद्यालयों में से लगभग 3000-3500 मध्य विद्यालयों में ही प्रधानाध्यापक उपलब्ध हैं। लिहाजन मध्य विद्यालयों के प्रधानाध्यापक के पदों को प्रोन्नति से भरने हेतु निर्धारित कालावधि एवं योग्यता में एक बार शिथिलीकरण की व्यवस्था की जानी है(राष्ट्रीय सहारा,पटना,21.8.11)।

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