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15 अगस्त 2011

हिमाचलःनहीं भर पाई इंजीनियरिंग संस्थानों की 3623 सीटें

हिमाचल में इंजीनियरिंग संस्थानों के भविष्य पर शुरुआती दौर में ही संकट पैदा होने लगा है। इस बार गिने-चुने कॉलेजों में ही सीटें भर पाई हैं। प्रदेश के जिन 17 इंजीनियरिंग कॉलेजों और 14 फार्मेसी संस्थानों के लिए 6520 सीटें आवंटित की गई थीं उनमें से 3623 सीटें खाली रह गई हैं।

बीटेक में इन इंजीनियरिंग कॉलेजों में कुल 5580 सीटें भरी जानी थी। अलग-अलग कॉलेजों के लिए काउंसलिंग से अलॉट की जाने वाली इन सीटों में से केवल 1957 ही भर पाई हैं। तीन बार काउंसलिंग के लिए तारीख बढ़ाने के बावजूद बीटेक के लिए केवल 4275 आवेदन ही आए जबकि सीटें 5580 थीं। यह सीटें तकनीकी यूनिवर्सिटी की काउंसलिंग से भरी जानी थीं।

बी-फार्मा में भी 820 में से 288 रहेंगी खाली : बी-फार्मा में कुल 820 सीटों के लिए प्रदेश के 14 फार्मेसी संस्थानों में मात्र 477 आवेदन आए। यहां भी स्टूडेंट्स का क्रेज लगातार घट रहा है। इनमें से 432 सीटें प्रथम वर्ष के लिए और 55 द्वितीय वर्ष के लिए भरी गई हैं। यहां 288 सीटें खाली रही हैं।


बीटेक के लिए द्वितीय वर्ष के दाखिलों में भी केवल 400 स्टूडेंट्स ने ही दाखिला लिया है। 11 अगस्त को इन सीटों को भरने के लिए हुई तीसरे दौर की काउंसलिं के लिए 30 जुलाई आवेदन करने की आखिरी तारीख थी, लेकिन कुछ स्टूडेंट्स ने ही आवेदन किया। 

इन तमाम संस्थानों के पास सीटें भरने के लिए 15 फीसदी का मैनेजमेंट कोटा रहता है, लेकिन 50 फीसदी सीटें ज्यादातर संस्थानों में खाली चल रही हैं। लिहाजा 15 फीसदी कोटे से भी सीटें नहीं भर पाई हैं। प्रदेश के करीब छह 
संस्थानों में ही 70 से 90 फीसदी सीटें जैसे-तैसे भर पाई हैं(दैनिक भास्कर,शिमला,स्वतंत्रता दिवस,2011)।

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