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15 अगस्त 2011

डिग्री शिक्षकों को भी बतानी होगी संपत्ति

देश में उच्च शिक्षा के निजीकरण के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से भ्रष्टाचार बढ़ा है। कॉलेजों को मान्यता देने का मामला हो या कोर्सेज को, लगातार भ्रष्टाचार सामने आता रहा है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और एआइसीटीई जैसे संस्थानों के अधिकारी भ्रष्टाचार के मामले में घिरते रहे हैं। अब विश्वविद्यालय भी इससे अछूते नहीं है। आलोचनाओं और उठते सवालों के बीच विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देश के तमाम विवि के अधिकारियों और शिक्षकों को अपनी संपत्ति घोषित करने का फरमान जारी किया है। फरमान के बाद भ्रष्टाचार का हिस्सा रहे अधिकारियों पर अंकुश लगाने में आसानी होगी। माना जा रहा है कि इस मामले में लगातार आयोग के शिकायतें मिल रही थीं। कॉलेजों के निरीक्षण का मामला हो या मान्यता का, विवि अधिकारियों को शायद ही किसी में कमी नजर आती हो। तमाम निरीक्षण की रिपोर्ट सकारात्मक रहती हैं। इसके बावजूद निजी शिक्षण संस्थानों में शैक्षिक स्तर व गुणवत्ता कम हो रही है। ऐसे में आयोग का मानना है कि कहीं न कहीं व्यवस्था में खामी है और भ्रष्टाचार पैर पसार रहा है। यूजीसी ने हाल ही में जारी सर्कुलर के माध्यम से देश भर के विवि के कुलपति, कुलसचिव, वित्त नियंत्रक-शिक्षकों समेत तमाम अधिकारियों को संपत्ति घोषित करने के निर्देश दिए हैं। आयोग के इस फैसले को राज्य के विवि के कुलपति सकारात्मक पहल मान रहे हैं। वे भी मानते हैं कि भ्रष्टाचार से विवि भी मुक्त नहीं हैं। ऐसे में जो लोग सही हैं, वे इस फैसले का स्वागत करेंगे। दून विवि के कुलपति प्रो. गिरिजेश पंत का कहना है कि आयोग का यह फैसला सराहनीय है। जिस तेजी से भ्रष्टाचार बढ़ रहा, शिक्षा का क्षेत्र भी इससे बच नहीं सकता। ऐसे में संपत्ति सार्वजनिक करने की बाध्यता अच्छा उपचार हो सकता है। उत्तराखंड तकनीकी विवि के कुलपति प्रो. डीएस चौहान भी इसे अच्छी पहल मानते हैं। उनका कहना है कि इस फैसले से वित्त के मामलों से जुड़े अधिकारियों पर अंकुश लगेगा(दैनिक जागरण,देहरादून,स्वतंत्रता दिवस,2011)

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