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10 अगस्त 2011

तमिलनाडु में समान शिक्षा प्रणाली लागू करने का सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु की जयललिता सरकार को झटका देते हुए राज्य के सभी स्कूलों में समान शिक्षा प्रणाली (समाचीर कालवी योजना) लागू करने के निर्देश दिए हैं। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को पिछली द्रमुक सरकार द्वारा लागू योजना को खत्म करने की याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति जेएम पांचाल, दीपक वर्माऔर बीएस चौहान की तीन सदस्यीय पीठ ने इस व्यवस्था के पक्ष में मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए यह निर्देश जारी किया। पीठ ने कहा कि कोई भी नई सरकार राजनीतिक कारणों के चलते पिछली सरकार के योजनागत फैसलों को नहीं बदल सकती। जया सरकार की दलील थी कि द्रमुक सरकार द्वारा लागू समान स्कूली शिक्षा प्रणाली (संशोधन) अधिनियम स्तरहीन, गुणवत्ताविहीन और राजनीति से प्रेरित था। न्यायमूर्ति चौहान ने कहा कि पीठ ने स्कूली शिक्षा की समान व्यवस्था बरकरार रखने के लिए 22 कारण गिनाए हैं। न्यायालय ने राज्य सरकार की सभी याचिकाएं खारिज करते हुए आदेश दिया कि यह अधिनियम 10 दिन के अंदर लागू किया जाए। साथ ही पीठ ने कहा कि अगर न्यायालय किसी अधिनियम का अनुमोदन कर देती है, तो सरकार न्यायिक फैसले को प्रभावित करने के लिए दूसरे रास्तों का इस्तेमाल नहीं कर सकती। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि फैसले से सार्वजनिक स्तर पर उलटा असर पड़ रहा हो या यह गैर- उपयोगी हो, तो बात दूसरी है। पीठ ने कहा कि किसी व्यक्ति या पार्टी का राजनीतिक एजेंडा कानून से बढ़कर नहीं हो सकता। राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के 18 जुलाई के फैसले को चुनौती देते हुए कहा था कि द्रमुक सरकार द्वारा तैयार कराई गई पुस्तकों में पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि और उनके परिवार के बारे में अध्याय जोड़े गए हैं। अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता ने राज्य की कमान संभालने के तुरंत बाद इस अधिनियम पर एक संशोधन पेश करते हुए कहा था कि यह पाठ्यक्रम द्रमुक सरकार के राजनीतिक हितों को साधता है। राज्य में दसवीं तक के 1.2 करोड़ से ज्यादा छात्र हैं। द्रमुक प्रमुख एम. करुणानिधि ने इस फैसले को तीन माह पुरानी जयललिता सरकार के लिए माकूल सबक बताया। उन्होंने कहा कि अडि़यल अन्नाद्रमुक सरकार ने समान स्कूली शिक्षा प्रणाली को पिछली द्रमुक सरकार द्वारा लागू करने के कारण नजरअंदाज कर दिया था। भाकपा और माकपा ने भी आदेश का स्वागत करते हुए कहा है कि राज्य सरकार को इसे तत्काल लागू कर देना चाहिए। दोनों दलों ने अन्नाद्रमुक के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। इस प्रणाली को लागू करने के लिए समर्थन देने वाली पीएमके के संस्थापक एस रामदास ने कहा कि जो लोग विद्यार्थियों के 70 कार्यदिवसों और करदाताओं के 500 करोड़ रुपये के नुकसान के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें अपनी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए। द्रमुक नेता एमके स्टालिन ने कहा कि सरकार को इसे फौरन लागू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह छात्रों की जीत है(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,10.8.11)।

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