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13 अगस्त 2011

झारखंड में एक लाख पद होने के बाद भी हजारों बेरोजगार

झारखंड के विभिन्न विभागों में एक लाख से ज्यादा पद (अफसरों-कर्मियों) रिक्त हैं, वहीं दूसरी ओर सूबे में 25.28 फीसदी युवा बेरोजगार बैठे हैं। ऐसा इसलिए कि विवि और कालेज बेरोजगारों की फौज खड़ी करते गए, जबकि सरकार नौकरी देने के नाम पर इक्का-दुक्का प्रतियोगी परीक्षाएं ही आयोजित करा सकी है। दस साल में मात्र तीन सिविल सेवा परीक्षा पूरी हुई, उन पर घपले-घोटाले का ग्रहण लग गया। चौथी प्रारंभिक स्तर पर ही है। दस वर्षो में ड्रग इंस्पेक्टरों की नियुक्ति नहीं हुई। दूसरी तरफ प्रतिवर्ष सैकड़ों युवा फार्मेसी स्नातक बनकर बेरोजगार होते गए। पांच हजार से अधिक बीपीएड, एमपीएड बेरोजगार बैठे हैं, क्योंकि राज्य गठन से अब तक शारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति ही नहीं हुई। विभिन्न विभागों में एक लाख से अधिक रिक्त हैं। राज्य सरकार की इस संबंध में की गईं कोशिशें सफल नहीं हो सकी हैं। दस साल में सरकार ढंग का एक भी तकनीकी संस्थान नहीं खोल सकी। तकनीकी शिक्षा के लिए युवा दूसरे राज्यों में पलायन और वहां के छात्रों के हाथों पिटने को मजबूर हो गए। तकनीकी विश्वविद्यालय आज भी फाइलों में है। मेडिकल कालेज सपना ही रह गया। युवाओं के चहुंमुखी विकास के लिए 2007 में युवा नीति बनी, लेकिन इसे धरातल पर उतारने में सरकार सफल न हुई। अब युवा आयोग के गठन की बात कही जा रही है। कौशल विकास मिशन का गठन हुआ लेकिन इसकी प्रगति सुस्त है। युवा संसाधन केंद्र खोलने की परिकल्पना भी धरातल पर उतर नहीं पाई। प्रदेश के पांचों प्रमंडलों के मुख्यालयों में ये केंद्र खोले जाने थे, जिनमें युवाओं के मानसिक विकास की सभी सुविधाएं जैसे, पुस्तकालय, वाचनालय, करियर काउंसलर आदि की व्यवस्था की जानी थी। रांची में यूथ हास्टल स्थापित करने की योजना का भी यह हश्र हुआ(नीरज अम्बष्ठ,दैनिक जागरण,रांची,13.8.11)।

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