मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

14 अगस्त 2011

गुजरातःछह आइपीएस हो चुके हैं बागी

दंगों और मुठभेड़ के मामलों ने गुजरात की मोदी सरकार और भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों के बीच गहरी दरार पैदा कर दी है। फरवरी, 2002 के दंगों और सोहराबुद्दीन व इशरत जहां मुठभेड़ मामलों को लेकर अब तक आधा दर्जन आइपीएस खुलकर सरकार के सामने आ चुके हैं। 1992 बैच के गुजरात कैडर के आइपीएस राहुल शर्मा ने दंगों के दौरान मंत्रियों और भाजपा व विहिप के नेताओं की पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों से फोन पर हुई बातचीत की सीडी नानावती आयोग व एसआइटी को सौंपकर मोदी सरकार से पंगा ले लिया था। इसके लिए सरकार ने उन्हें पहले नोटिस और अब आरोपपत्र थमा दिया है। हफ्ते भर पहले ही सरकार ने आइपीएस संजीव भट्ट को भी कदाचार के आरोप में निलंबित कर दिया था। भट्ट ने तो सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा देकर दंगों में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भी भूमिका होने का आरोप लगा दिया था। भट्ट का कहना है कि 27 फरवरी, 2002 को मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर हुई उच्चस्तरीय बैठक में मोदी ने पुलिस अधिकारियों को समुदाय विशेष को अपने गुस्से का इजहार करने की छूट देने का निर्देश दिया था। भट्ट के मुताबिक इस बैठक में वे भी शामिल थे। सरकार ने भट्ट के खिलाफ कई पुराने मामलों को फिर खुलवा दिया है। इनमें 131 लोगों के खिलाफ टाडा का फर्जी मामला बनाना भी शामिल है। भट्ट से पहले पूर्व डीजीपी और 1971 बैच के आइपीएस आरबी श्रीकुमार भी सरकार पर गुजरात दंगों के दौरान समूह विशेष से भेदभाव का आरोप लगा चुके हैं। उनकी पदोन्नति रोक दी गई थी। जिसे उन्होंने केंद्रीय प्रशासकीय न्यायाधिकरण (कैट) में चुनौती दी थी। कैट के आदेश पर उन्हें पुलिस महानिदेशक का पद मिला। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री केशूभाई पटेल के शासन में 1976 बैच के आइपीएस कुलदीप शर्मा का काफी दबदबा था। कुलदीप शर्मा को कच्छ-भुज जिले में हथियार और मादक पदार्थो की तस्करी पर लगाम कसने के लिए जाना जाता है। गुजरात सीआइडी क्राइम के आइजी पद पर रहते उन्होंने सोहराबुद्दीन मुठभेड़ कांड की अंतरिम रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपकर मोदी सरकार को मुश्किल में डाल दिया था। इसके बाद उन्हें भेड़ ऊन विभाग में प्रबंध निदेशक पद पर तैनात कर दिया गया था। कुलदीप शर्मा बाद में प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले गए। सोहराबुद्दीन मुठभेड़ की ही जांच करने वाले डीआइजी रजनीश राय ने आइपीएस डीजी वंजारा, राजकुमार पांडियन और राजस्थान के आइपीएस दिनेश एमएन को उच्च अधिकारियों को सूचित किए बिना गिरफ्तार कर लिया था। राय की तरह ही 1986 बैच के आइपीएस सतीश वर्मा इशरत जहां मुठभेड़ मामले को लेकर चर्चा में हैं। वह इस मुठभेड़ की जांच कर रही एसआइटी के सदस्य हैं। उनकी जांच ने राज्य के कई आला पुलिस अधिकारियों को परेशानी में डाल रखा है। सरकार ने उनके खिलाफ वर्ष 1990 का पोरबंदर का गोसाबारा हथियार मामला खोल दिया है। गुजरात हाई कोर्ट ने हालांकि सरकार को ताकीद किया है कि वह ऐसा कोई कदम न उठाए जिससे इशरत मुठभेड़ की जांच प्रभावित हो(शत्रुघ्न शर्मा,दैनिक जागरण,अहमदाबाद,14.8.11)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।