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15 अगस्त 2011

मध्यप्रदेशःएमबीबीएस की कुर्सी मिलेगी डेंटिस्ट को

अब गांवों के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के रिक्त पदों पर डेंटिस्टों की भर्ती की जाएगी। इसके लिए बीडीएस डिग्रीधारी को एक साल की विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी, जो सरकारी मेडिकल कॉलेज में होगी। विशेष ट्रेनिंग में इन्हें मेडीसिन, हड्डी रोग, स्त्री रोग, नेत्र रोग, सर्जरी और फॉरेंसिक मेडीसिन की शिक्षा दी जाएगी। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने यह योजना कैबिनेट उपसमिति के निर्देश पर बनाई है। इसे सितंबर में मंजूरी के लिए कैबिनेट में रखा जाएगा।

चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि एमबीबीएस डिग्रीधारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में काम करने को तैयार नहीं हैं। इस कारण प्रदेश में डॉक्टरों के करीब 2500 पद खाली हैं। इसी को देखते हुए डेंटिस्टों की तैनाती प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर करने का फैसला लिया गया है।

अधिकारियों के मुताबिक राज्य के पांच सरकारी मेडिकल कॉलेजों से हर साल 620 एमबीबीएस जबकि एकमात्र सरकारी डेंटल कॉलेज से ४क् और प्राइवेट डेंटल कॉलेज से 1300 डेंटिस्ट निकलते हैं। इनमें से एमबीबीएस करने वाले करीब सौ लोग ही सरकारी नौकरी करते हैं।

फाइलों से बाहर आए निर्णय

हमीदिया अस्पताल के सेवानिवृत्त अधीक्षक डॉ. डीके वर्मा ने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बीडीएस डॉक्टर स्पेशल ट्रेनिंग लेकर मरीजों का इलाज करने में आयुष डॉक्टरों से ज्यादा सक्षम होंगे, लेकिन सरकार डेंटिस्टों को गांव के अस्पतालों में पदस्थ करने के निर्णय पर अमल करे। उन्होंने बताया कि जुलाई में राज्य सरकार ने आयुष डॉक्टरों को गांव के अस्पतालों में पदस्थ कर डॉक्टरों की कमी दूर करने का दावा किया था, जो महज घोषणा बनकर रह गया।

डॉक्टरों के रिक्त पदों की स्थिति : 
पदनाम रिक्त पद 
विशेषज्ञ डॉक्टर 1953 
मेडिकल ऑफिसर 997
(आंकड़े प्रशासकीय प्रतिवेदन से लिए गए हैं)

एमबीबीएस डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए बीडीएस डिग्रीधारक डॉक्टरों को एक साल की ट्रेनिंग देकर गांव के अस्पतालों में पदस्थ करने की योजना बनी है। इन डॉक्टरों की पदस्थापना केवल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर के अस्पतालों में होगी। 
नरोत्तम मिश्रा, मंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग

पहले चरण में 500 डेंटिस्टों को ट्रेनिंग
संयुक्त संचालक चिकित्सा शिक्षा ने बताया कि डेंटिस्टों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर नियुक्त करने से पहले सरकारी मेडिकल कॉलेज में एक साल की ट्रेनिंग दी जाएगी। पहले चरण में 500 डेंटिस्टों का चयन ट्रेनिंग के लिए किया जाएगा।

खराब सेवा शर्तो के कारण नहीं जाते गांवों में 
जेपी अस्पताल के सेवानिवृत्त अस्पताल अधीक्षक डॉ. एके चौधरी ने बताया कि सरकारी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने वाले डिग्री के बाद प्रीपीजी की तैयारी करने के कारण गांव के अस्पतालों में ड्यूटी करने नहीं जाते। इसके अलावा ये डॉक्टर सरकारी नौकरी में वेतन कम मिलने और खराब सेवा शर्तें होने के कारण भी गांव के अस्पताल में ड्यूटी करने नहीं जाते(रोहित श्रीवास्तव,दैनिक भास्कर,भोपाल,स्वतंत्रता दिवस,2011)।

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