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21 अगस्त 2011

उत्तराखंडःटीईटी में अंकों की अनिवार्यता खत्म

नैनीताल उच्च न्यायालय ने स्नातक स्तर पर 50 फीसद से कम अंक लाने वाले बीएड धारकों को टीईटी परीक्षा में सम्मिलित होने का पात्र करार दिया है। न्यायालय ने राज्य सरकार से ऐसे अभ्यर्थियों को टीईटी परीक्षा में सम्मिलित करने को कहा है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकल पीठ ने बलदेव सिंह एवं सैकड़ों अन्य लोगों की याचिकाओं की सुनवाई पर दिया है। इन याचिकाओं में नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन की अधिसूचना को चुनौती दी थी। इस अधिसूचना में टीईटी के लिए स्नातक स्तर पर 50 फीसदी तक अंक लाने वाले छात्रों को पात्र बताया गया था। याचिकाकर्ताओं ने एनसीटीई के इस आदेश के बाद विद्यालयी शिक्षा परिषद द्वारा निकाली गई विज्ञप्ति को निरस्त करने की मांग की थी। इन याचिकाओं में अभ्यर्थियों ने कहा था कि 2007 की बीएड प्रवेश परीक्षा में स्नातक स्तर पर 45 फीसद अंक की अनिवार्यता थी, जबकि इसके पहले अंकों की कोई बाध्यता नहीं थी। दोनों पक्षों के तकरे को सुनने के बाद एकल पीठ ने कहा कि एनसीटीई की अधिसूचना 23 अगस्त 2010 को लागू की गई है। इससे पूर्व बीएड कर चुके अभ्यर्थियों पर लागू नहीं की जा सकती है। इसके साथ ही एकल पीठ ने पचास फीसदी से कम अंक लाने वालों को टीईटी परीक्षा के लिए योग्य करार दे दिया है। उधर, एक अन्य मामले में हाई कोर्ट ने बीपीएड को राहत नहीं दी। हाईकोर्ट ने बीपीएड अभ्यर्थियों को टीईटी परीक्षा में सम्मिलित करने से जुड़ी एक याचिका को खारिज कर दी है। यह याचिका अनिल लोहनी एवं अन्य ने दाखिल की थी(राष्ट्रीय सहारा,नैनीताल,21.8.11)।

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