मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

12 अगस्त 2011

सी डब्ल्यू ए के तौर पर करिअर

उदारीकरण और कंपनियों के ग्लोबल कारोबार और भारत सरकार के कंपनी संबंधी नियमों में सुधारों के कारण सीए, सीएस और सीडब्ल्यूए की कॉरपोरेट जगत में मांग खासी बढ़ रही है। 
तेजी से ग्रोथ दिखाती भारतीय अर्थव्यवस्था में फाइनेंस एवं अकाउंट्स से जुड़े करियर लोगों के आकर्षण को केंद्र बनते नजर आ रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों से मल्टीनेशनल कंपनियों के देश में आने से इस क्षेत्र में जॉब की रौनक भी बढ़ी है। स्थानीय कंपनियां भी रोजगार के एक बड़े हब के रूप में स्थापित हो चुकी हैं। आर्थिक उदारीकरण के बाद इसमें तेजी से बदलाव देखने को मिले हैं। लोगों को सभी बड़ी कंपनियों में आसानी से जॉब मिल रही है। इसमें सीए/सीएस और आईसीडब्ल्यूए प्रमुख हैं।
अक्सर छात्र सीए/सीएस और आईसीडब्ल्यूए को एक ही मान बैठते हैं। इन तीनों को लेकर उनके मन में तमाम तरह की शंकाएं भी होती हैं, लेकिन अपने कार्य के स्वरूप और भूमिका को लेकर ये तीनों अलग हैं। इसमें सीए और आईसीडब्ल्यूए एक जैसे होते हैं, लेकिन सीएस का काम इनसे अलग होता है। सीए और सीएस के कार्यों में भी जॉब के दौरान ही समानता होती है, लेकिन जैसे ही बात प्रैक्टिस की होती है, उसका स्वरूप बदल जाता है। जॉब के लिहाज से ये तीनों ही बूम पर हैं।
सीए करता है मनी मैनेजमेंट
किसी भी संस्थान में चार्टर्ड अकाउंटेंट अथवा सीए का काम बेहद सम्मानजनक एवं चुनौतीपूर्ण होता है। वे उस संस्थान अथवा कंपनी से जुड़े सभी अकाउंट एवं फाइनेंस संबंधी कार्यों के प्रति उत्तरदायी होते हैं। इसके अलावा इनका कार्य मनी मैनेजमेंट, ऑडिट अकाउंट का एनालिसिस, टैक्सेशन तथा फाइनेंशियल एडवाइज उपलब्ध कराने से भी संबंधित है। एक समय ऐसा था, जब सीए के कार्यक्षेत्र को अकाउंट तक ही सीमित माना जाता था। लेकिन धीरे-धीरे स्थितियां बदल रही हैं और इनका कार्यक्षेत्र भी बढ़ता जा रहा है और वे मैनेजमेंट और कॉरपोरेट केयर टेकर को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इनका कार्य मुख्यत: अकाउंटिंग, टैक्सेशन और ऑडिटिंग से संबंधित है।
ज्यादातर कंपनियां कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड हैं और उन्हें ऑडिटिंग के लिए सीए की जरूरत पड़ती है। अब तो छोटे से छोटा संस्थान भी अपने यहां सीए प्रोफेशनल्स को रखना चाहता है, ताकि कंपनी को फायदे में पहुंचाया जा सके।


इंस्टीटय़ूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ही एकमात्र संस्था है, जो सीए का कोर्स कराती है और उसके बाद लाइसेंस प्रदान करती है। कंपनी एक्ट के अनुसार केवल सीए ही भारतीय कंपनियों में बतौर ऑडिटर नियुक्त किए जा सकते हैं। इसका फायदा देख कर ही कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां चार्टर्ड अकाउंटेंट के क्षेत्र में कदम रख रही हैं।
सीएस होते हैं कंपनी कार्यों की महत्त्वपूर्ण कड़ी
सीएस एक्ट 1980 भी सीए की तरह ही संसदीय अधिनियम से पारित हुआ है। दि इंस्टीटय़ूट ऑफ कंपनी सेकेट्ररीज ऑफ इंडिया (आईसीएसआई) एकमात्र ऐसी संस्था है, जो कंपनी सेक्रेटरी का कोर्स कराती है। बतौर सीएस प्रोफेशनल्स आप टॉप मैनेजमेंट और शेयर होल्डर्स के बीच अपनी सेवाएं दे सकते हैं। सीएस को कंपनी और स्टॉक होल्डर्स के हितों की रक्षा करते हुए कंपनी लॉ के अधीन कई महत्त्वपूर्ण कार्य करने होते हैं। जिस कंपनी का पेड अप शेयर कैपिटल दस लाख रुपए से ज्यादा और दो करोड़ रुपए से कम हो, उन्हें कम्प्लायंस सर्टिफिकेट के लिए सीएस की सेवाएं लेनी पड़ती हैं। स्टॉक एक्सचेंज में दर्ज होने के लिए भी कंपनियों को अपने यहां सीएस की नियुक्ति करनी होती है। कंपनी सेक्रेटरी को कम्प्लायंस सर्टिफिकेट जारी करने का अधिकार होता है। कंपनी सेक्रेटरी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स सरकारी व गैर सरकारी एजेंसियों, शेयर होल्डर्स एवं सरकार के बीच एक कड़ी का काम करता है। कंपनी की प्रशासनिक जिम्मेदारियों को समझने के साथ-साथ सीएस को लॉ मैनेजमेंट, फाइनेंस और कॉरपोरेट गवर्ननेंस सरीखे विषयों के बारे में जानकारी रखनी पड़ती है।
आईसीडब्ल्यूए: सामना करें बड़े लक्ष्य का 
आजकल कंपनियों में कॉस्ट कटिंग का चलन बढ़ गया है। इसका फायदा सीधे कंपनी को मिलता है। कॉस्ट कटिंग से जुड़े प्रोफेशनल्स कॉस्ट एंड वर्क अकाउंटेंट (सीडब्ल्यूए) कहलाते हैं। ये किसी भी कंपनी की बिजनेस पॉलिसी तैयार करने, स्ट्रेटिजिक डिसीजन उपलब्ध कराने, फाइनेंशियल रिपोर्ट प्रेजेंट करने संबंधी कार्य करते हैं। सीडब्ल्यूए किसी भी कंपनी के लाभ को बढ़ाते हैं तथा खर्च में कटौती का पूरा खाका भी खींचते हैं। इसके अलावा ये कंपनी के मैनेजर के साथ बैठ कर किसी विशेष प्रोजेक्ट के लिए बजट भी तैयार करते हैं। सीडब्ल्यूए का काम बहुत ही जिम्मेदारी भरा तथा चुनौतीपूर्ण होता है। जनरल मैनेजमेंट एवं कम्युनिकेशन स्किल इस फील्ड के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। लिखने-बोलने में दक्षता पॉलिसी तैयार करने तथा प्रेजेंटेशन के वक्त काम आते हैं। इस आधार पर कहा जा सकता है कि एक सीडब्ल्यूए का काम बड़े लक्ष्य के समान है।
कॉस्ट कटिंग, वर्क अकाउंटिंग तथा अकाउंटिंग मैनेजमेंट जैसे विषयों की पढ़ाई पर अधिक जोर दिया जा रहा है। जानकारों की मानें तो आने वाले समय में हर बड़ी कंपनी के अंदर कॉस्ट एंड वर्क अकाउटेंट की नियुक्ति अनिवार्य हो जाएगी। मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स की ओर से जारी नई अधिसूचना के तहत अब बल्क ड्रग, टेलीकम्युनिकेशन, शुगर, इलेक्ट्रिसिटी, पेट्रोलियम सहित करीब एक दर्जन निर्माता इकाइयों में कॉस्ट ऑडिट अनिवार्य होगी। इससे उत्पाद निर्माण में गुणवत्ता तथा उत्पाद लागत में कमी आने का फायदा सीधे तौर पर उपभोक्ताओं को मिलेगा। अब ऐसी निर्माता कंपनियों को कॉस्ट ऑडिट के दायरे में लाया गया है, जिनकी नेटवर्थ पांच करोड़ से ऊपर तथा टर्नओवर 20 करोड़ से अधिक होगा।
प्रैक्टिस और जॉब, दोनों की तैयारी करें छात्र
एक्सपर्ट व्यू/राकेश सिंह
(वाइस प्रेसीडेंट), आईसीडब्ल्यूएआई, दिल्ली
वर्तमान समय में सीए/सीएस के लिए क्या संभावनाएं नजर आ रही हैं?
भारत में जिस तरह से ग्रोथ हो रही है, उसे देख कर कहा जा सकता है कि यहां पर संभावनाएं बहुत ज्यादा हैं। भारतीय कंपनियां अपना प्रोडक्ट विदेशों में भेज रही हैं तथा विदेशी कंपनियां भी यहां आ रही हैं। यहां के प्रोफेशनल्स भी विदेश में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सीए व सीडब्ल्यूए जहां फाइनेंस और ऑडिट का काम देख रहे हैं, वहीं सीएस कंपनी के लीगल इश्यू पर ज्यादा ध्यान देते हैं।
जॉब अथवा प्रैक्टिस में से बेहतर विकल्प क्या हो सकता है?
दोनों में से किसी एक का चयन छात्र पर निर्भर करता है। मेरी नजर में दोनों ही अपनी जगह पर ठीक हैं। जॉब में जहां प्रोफेशनल्स एक ही जगह पर नियत समय के दौरान काम करते हैं, वहीं प्रैक्टिस में उन्हें नई-नई चुनौतियों और नए-नए विषयों की जानकारी होती है। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है। छात्रों को यही सलाह है कि वे दोनों ही चीजों की जानकारी लें।
रेगुलर क्लास न कर पाने वाले छात्र इस फील्ड में कैसे आ सकते हैं?
इसमें रेगुलर व डिस्टेंस लर्निग, दोनों ही तरीकों से कोर्स कराए जाते हैं। सीएस में ई-लर्निंग व आईसीडब्ल्यूए में पोस्टल कोचिंग का कॉन्सेप्ट प्रचलन में है। ई-लर्निंग में जहां छात्रों को वेब बेस्ड ट्रेनिंग, वीडियो लाइब्रेरी और वचरुअल क्लास की सुविधा मिलती है, वहीं आईसीडब्ल्यूए में पोस्टल छात्रों को टेस्ट पेपर भेज दिया जाता है और वे उसे सॉल्व कर भेजते हैं। जो इसमें पास होता है, उसी को एग्जाम में बैठने की अनुमति दी जाती है।
सक्सेस स्टोरी
हार्डवर्क ने पहुंचाया मुकाम तक
सौरभ टंडन
(सीए/सर्किल फाइनेंस हैड) 
व्योम नेटवर्क लि., लखनऊ
यदि छात्र कठिन परिश्रम को अपने जीवन का आधार बना लें तो सीए बनने की राह काफी आसान हो जाती है। इसमें सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता।
मैंने कॉमर्स से ग्रेजुएशन की है। जब मैं फर्स्ट ईयर में था, तभी से सीए की तैयारी शुरू कर दी थी। कोर्स के दौरान 1998 में मुझे एक सीए के अंडर रह कर तीन पेपर क्लीयर करने पड़े। यह जिन्दगी का सबसे कठिन दौर लग रहा था, क्योंकि इसमें रेगुलर पढ़ाई के साथ इंटर्नशिप भी करनी थी। दोनों ही चीजें एक साथ चल रही थीं तथा दोनों में 100 फीसदी रिजल्ट देना था। मैंने हार न मानते हुए इसे एक चुनौती के रूप में लिया तथा पूरा करके दिखाया। मेरे नंबर भी अच्छे आए थे। बतौर सीए रजिस्ट्रेशन करा लेने के बाद मैंने एक प्राइवेट कंपनी में काम करना शुरू किया। धीरे-धीरे काम में मजा आता गया और मैं उसमें रमता गया। आज मेरे पास करीब सात साल का अनुभव है और इस समय मैं टाटा मोबाइल और फ्यूपो की ज्वॉइंट वेंचर कंपनी व्योम नेटवर्क्स लिमिटेड में कार्यरत हूं।
इस फील्ड में आने वाले छात्रों से मैं यही कहूंगा कि इसमें कोई शॉर्टकट नहीं है, बल्कि सारी कहानी आपकी मेहनत के बलबूते लिखी जाएगी।
रेगुलर तथा पत्रचार कोर्स मौजूद
आज के दौर में केवल बीकॉम या एमकॉम से काम नहीं चलता। इसके साथ कुछ व्यावसायिक डिग्रियां भी जरूरी हो गई हैं। इनसे जॉब की राह काफी आसान हो जाती है। सीए/सीएस व आईसीडब्ल्यूए भी एक ऐसा ही व्यावसायिक कोर्स है। ये सभी कोर्स भारत सरकार की संसद के अधिनियम के अंतर्गत स्थापित हैं। सीए में तीन लेवल के कोर्स मौजूद हैं, जिनमें दाखिला साल भर में दो बार होता है। एंट्री लेवल पर छात्रों को कॉमन प्रोफिशिएंसी टेस्ट (सीपीटी) देना होता है। सेकेंड स्टेज पर प्रोफेशनल कंपिटेंस कोर्स (पीसीसी) होता है। इसके बाद उन्हें 100 घंटे की आर्टिकिल ट्रेनिंग इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ट्रेनिंग (आईटीटी) में बैठना होता है। तीसरा लेवल फाइनल कोर्स होता है। इसमें रजिस्टर होने के लिए पीसीसी क्लीयर करना होता है। तभी उसका दाखिला जनरल मैनेजमेंट एंड कम्युनिकेशन स्किल्स कोर्स (जीएमएससी) में होता है। फाइनल एग्जाम पास करने के बाद छात्र सीए बनने के लिए दि इंस्टीटय़ूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) में रजिस्ट्रेशन कराते हैं। सीएस के लिए दि इंस्टीटय़ूट ऑफ कंपनी सेकेट्ररीज ऑफ इंडिया (आईसीएसआई) देश भर में संचालित सेंटरों के जरिए तीन लेवल पर कोर्स कराता है। पहले लेवल पर फाउंडेशन प्रोग्राम, दूसरे लेवल पर एग्जीक्यूटिव तथा तीसरे लेवल पर प्रोफेशनल प्रोग्राम होता है। सीएस कोर्स में दाखिला जून व दिसंबर में होता है। दाखिला प्रवेश परीक्षा अथवा इंटरव्यू के आधार पर न होकर रजिस्ट्रेशन पर निर्भर होता है।
विभिन्न प्रोग्राम में रजिस्ट्रेशन की अवधि भिन्न-भिन्न होती है। छात्रों को फाउंडेशन में चार पेपर, एग्जीक्यूटिव छह पेपर तथा प्रोफेशनल प्रोग्राम में अलग-अलग मॉडय़ूल के कुल आठ पेपर पढ़ाए जाते हैं। परीक्षा पास करने के बाद छात्रों को कई तरह की ट्रेनिंग से होकर गुजरना पड़ता है।
सीडब्ल्यूए बनने के लिए रेगुलर तथा डिस्टेंस लर्निग के कोर्स मौजूद हैं। इनके लिए दि इंस्टीटय़ूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीडब्ल्यूएआई) में रजिस्ट्रेशन कराना होता है। ये कोर्स तीन चरणों- फाउंडेशन, इंटरमीडिएट एवं फाइनल एग्जाम के रूप में होते हैं। इसमें दाखिले के लिए उम्र-सीमा का भी प्रावधान है।
फैक्ट फाइल
प्रमुख प्रशिक्षण संस्था
दि इंस्टीटय़ूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई)
वेबसाइट: www.icai.org
(हेड ऑफिस नई दिल्ली में स्थित है। इसके चार रीजनल ऑफिस मुंबई, कोलकाता, चेन्नई तथा कानपुर में हैं, जबकि पूरे देश में 87 ब्रांच और 9 चैप्टर मौजूद हैं)
दि इंस्टीटय़ूट ऑफ कंपनी सेकेट्ररीज ऑफ इंडिया (आईसीएसआई)
वेबसाइट: www.icsi.edu
(हेड ऑफिस नई दिल्ली में स्थित है। इसके चार रीजनल ऑफिस दिल्ली, मुंबई, कोलकाता तथा चेन्नई में हैं।)
दि इंस्टीटय़ूट ऑफ कॉस्ट एंड वर्क अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएसआई)
वेबसाइट: www.icwai.org
(हेड ऑफिस कोलकाता में स्थित है। इसके चार रीजनल ऑफिस दिल्ली, मुंबई, कोलकाता तथा चेन्नई में हैं। इसके कुल 90 चैप्टर हैं।)
योग्यता
सीए के सीपीटी लेवल प्रोग्राम में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए छात्र को 10वीं पास होना जरूरी है। बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद वह सीपीटी में बैठ सकता है। यह परीक्षा ऑनलाइन व ऑफलाइन, दोनों तरीके से होती है। इसके बाद वह दूसरे व तीसरे लेवल की परीक्षा देता है। सीएस में रजिस्ट्रेशन बारहवीं (फाइन आर्ट को छोड़कर) के बाद होता है। यदि छात्र के पास कॉमर्स में बैचलर और मास्टर डिग्री है तो वह फाउंडेशन की बजाय सीधे एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम में दाखिला ले सकता है। इसी तरह से सीडब्ल्यूए में प्रवेश के लिए बारहवीं पास होना तथा 17 साल की उम्र होना जरूरी है। तभी फाउंडेशन कोर्स में रजिस्ट्रेशन मिल पाता है।
स्किल्स
सीए/सीएस/सीडब्ल्यूए खासकर उन्हीं लोगों के लिए हैं, जो दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ कठिन मेहनत की क्षमता रखते हों। इन प्रोफेशनल प्रोग्राम को कंपलीट करने में ही छात्रों को अत्यधिक मेहनत करनी पड़ती है। कॉमनसेंस, प्रशासनिक कौशल, लीगल एप्टीटय़ूड, गणितीय कौशल, निर्णय लेने की क्षमता, करेंट अफेयर्स से अपडेट होना जरूरी है।
वेतनमान
बतौर सीए/सीएस और सीडब्ल्यूए डोमेस्टिक कंपनियों में प्रोफेशनल्स को जूनियर लेवल पर 15000-20000 रुपए प्रतिमाह तथा सीनियर लेवल पर 30000-35000 रुपए प्रतिमाह मिलता है, जबकि दो-तीन साल का अनुभव होने पर यही राशि 55000-60000 रुपए प्रतिमाह के करीब पहुंच जाती है। विदेशी कंपनियां इन्हें लाखों के पैकेज पर रख रही हैं। इनकी सेलरी अनुभव बढ़ने के साथ-साथ बढ़ती जाती है। यदि आप विदेश जाकर या अपनी प्रैक्टिस कर रहे हैं तो फिर आमदनी की कोई निश्चित सीमा नहीं होती।
पॉजिटिव व निगेटिव
ग्रोथ की व्यापक संभावनाएं 
आकर्षक सेलरी व प्रतिष्ठा 
निजी प्रैक्टिस की संभावना 
अधिक परिश्रम 
जिम्मेदारी एवं चुनौतीपूर्ण कार्य(संजीव कुमार सिंह,हिंदुस्तान,दिल्ली,10.8.11)

1 टिप्पणी:

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।