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02 अगस्त 2011

मध्यप्रदेशःफ्रेशर्स रहे टॉपर्स

आईआईटी-जेईई, एआईईईई, एआईपीएमटी, एम्स परीक्षाओं में पहले ही प्रयास में सफलता हासिल करने वाले छात्रों की संख्या बढ़ी है। बात शुरू करें आईआईटी-जेईई से तो इस साल लगभग 120 सिलेक्शन में से 65 छात्र फ्रेशर्स थे। यानी इन्होंने बारहवीं के साथ ही इस इंजीनियरिंग एंट्रेंस क्लियर किया।

विशेषज्ञ इसके पीछे कारण बताते हैं, पहले बारहवीं में पढ़ने वाला छात्र इस माइंड सेट के साथ तैयारी करता था कि बोर्ड एक्जाम बहुत मुश्किल है, पहले इसे पास कर लें फिर ड्रॉप लेकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करेंगे। पहले प्रयास में सफल होना प्राथमिकता नहीं होती थी लेकिन अब ट्रेंड बदल चुका है। बोर्ड एक्जाम का हौवा स्टूडेंट्स के सिर पर नहीं रहता। वे ग्यारहवीं के साथ कोचिंग इसी सोच के साथ करते हैं कि पहले ही प्रयास में सफल होना है। यही वजह है कि अधिकांश परीक्षाओं में फ्रेशर्स ही टॉप कर रहे हैं।

डर लगा रहता है..
ड्रॉपर स्टूडेंट्स को डर रहता है कि इस बार सिलेक्शन नहीं हुआ तो क्या होगा? मेडिकल एंट्रेंस की तैयारी कराने वाले विशेषज्ञ डॉ. दुर्रानी कहते हैं, ड्रॉपर को हर सवाल के जवाब देने में डर लगा रहता है और इसकी वजह से कई जवाब गलत हो जाते हैं और रैंक पिछड़ जाती है। जबकि फ्रेशर्स को पता होता है कि उसके पास दूसरा मौका भी है इसलिए वो पूरे आत्मविश्वास के साथ टेस्ट देता है। फ्रेशर स्कूल के जरिए भी लगातार एनसीईआरटी सिलेबस के संपर्क में रहता है जिसकी वजह से उसके कंसेप्ट क्लियर रहते हैं।

दोस्तों के साथ डिस्कशन
आईआईटी में सफल रहे तन्मय शर्मा ने पहले ही प्रयास में आईआईटी-जेईई और एआईईईई क्लीयर की थी। वे कहते हैं, फ्रेशर होने का फायदा यह मिलता है कि स्कूल से जुड़े रहते हैं और दोस्तों के साथ डिस्कशन होता रहता है। जबकि हो सकता है कि ड्रॉपर स्टूडेंट के साथी पिछले प्रयास में सफल हो गए हों और वो अकेला रह गया हो जिसकी वजह से असफलता का डर बढ़ जाता है।


इस बारे में आईआईटी-जेईई और एआईईईई की तैयार कराने वाले फैकल्टी अशोक सिंह कहते हैं, भोपाल में आईआईटी को लेकर बहुत अच्छा मार्गदर्शन मिल रहा है। बच्चे पिछले परिणामों से प्रभावित होकर इस बात को समझ पाते हैं कि पहले प्रयास में पास होना नामुमकिन नहीं है। यही वजह है कि पूरी लगन और प्लानिंग के साथ तैयारी करने पर सफल हो रहे हैं।

नहीं होता दबाव..
- साइकोलॉजिकल दबाव फ्रेशर्स पर नहीं रहता, ड्रॉपर तनाव में होते हैं।
- सामाजिक दबाव ड्रॉपर पर -सफल नहीं हुए तो लोग क्या कहेंगे।
- फ्रेशर्स के साथ कोचिंग पर उसके स्कूल के साथी भी होते हैं जिनसे वे पढ़ाई और व्यक्तिगत समस्याएं शेयर कर पाता है।

2010-11 के टॉपर्स

आईआईटी जेईई 120
फ्रेशर- 65 ड्रॉपर- 55

एआईईईइ 140
फ्रेशर 80 ड्रॉपर- 60

एआईपीएमटी 80
फ्रेशर- 45 ड्रॉपर- 35

2009-1क0 के टॉपर्स

आईआईटी जेईई
राज द्विवेदी एआईआर 10
पवन नागवानी एआईआर 72

एआईईईई
राज द्विवेदी एआईआर-2

एआईपीएमटी
हार्दिक पांडे एआईआर-9
मृदुला शुक्ला एआईआर-30
अपूर्व सिंह यादव एआईआर-36

एम्स
अपूर्व सिंह यादव एआईआर-19
हार्दिक पांडे एआईआर-22(प्रीति शर्मा,दैनिक भास्कर,भोपाल,2.8.11)

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