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22 अगस्त 2011

लखनऊ विश्वविद्यालयःशोध छात्रों की अब रोज लगेगी हाजिरी

लखनऊ विविद्यालय में शोध की राह अब और कठिन हो जाएगी। इस बार प्रवेश परीक्षा से पीएचडी में दाखिला पाने वालों को हर दिन अपनी हाजिरी विभाग में देनी होगी। उपस्थिति 75 फीसद से कम हुई तो छात्र-छात्राओं को अगले वर्ष के लिए नवीनीकरण अधर में पड़ सकता है। इस नियम को विविद्यालय के शिक्षक कुछ ज्यादा ही सख्त बता रहे हैं, लेकिन शोध की गुणवत्ता के लिए इसे जरूरी भी करार दिया। विविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 2009 में पीएचडी के नियमों में बदलाव कर दिया था। इन्हीं नियमों के अमल में शोध छात्रों की प्रति दिन उपस्थिति का प्रावधान है। केन्द्रीय विविद्यालयों में तो पिछले वर्ष ही इस पर अमल हो गया था, लेकिन राज्य विविद्यालयों में शामिल लखनऊ विविद्यालय ने इसी वर्ष पीएचडी के नये नियमों को मंजूरी दी है और उनको लागू कर दिया। पीएचडी के नये निमयों के फेर में ही लविवि में एक वर्ष तक शोध कार्य ठप रहा। इसी शैक्षिक सत्र में पीएचडी में दाखिला हुआ है और शनिवार को बची पीएचडी की सीटों के लिए परीक्षा में उत्तीर्ण होने वालों को हर दिन की उपस्थिति में रखा जाएगा। विविद्यालय में लीगल सेल के निदेशक डा. डीएनएस यादव ने कहा कि शोध ने नियमों में हर दिन की उपस्थिति शामिल है। उन्होंने कहा कि पीएचडी रेग्युलर कोर्स है, ऐसे में उपस्थिति हर हाल में देनी होगी। केन्द्रीय विविद्यालयों की तर्ज पर पीएचडी में उपस्थिति लागू करने वालों में लखनऊ विविद्यालय भी शामिल हो गया है। प्रदेश के ज्यादातर विविद्यालयों को नये नियमों के तहत उपस्थिति लागू करने के निर्देश भी दिये गये हैं और उनमें पीएचडी के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा दे प्रवेश दिये जाएंगे। सूत्रों का कहना है कि राज्य विविद्यालयों में अभी तक इस तरीके की व्यवस्था नहीं थी। लुआक्टा के अध्यक्ष डा. मनोज कुमार पाण्डेय ने कहा कि पीएचडी में उपस्थिति अनिवार्य और हर दिन की होने की वजह से शोध की गुणवत्ता बढ़ेगी। मालूम हो कि लखनऊ विविद्यालय हर महीने औसतन 350 पीएचडी करा रहा है, और अवार्ड भी हो जा रही है। पूरे साल में इनकी संख्या चार हजार के करीब हो जाती है। लविवि के ला के संकायाध्यक्ष प्रो. ओएन मिश्र का कहना है कि शोध उच्च शिक्षा की दिशा तय करती है। इसमें हर दिन की उपस्थिति तय होने से गुणवत्ता का इजाफा होगा(कमल तिवारी,राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,22.8.11)।

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