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23 अगस्त 2011

मध्यप्रदेशःआयुष डाक्टरों को पहले मौक़ा देने की मांग

सरकार ने कुछ दिनों पहले वादा किया था कि गांवों में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिये रूरल हैल्थ कोर्स चालू नहीं किया जाएगा और गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं के लिये आयुष मेडिकल चिकित्सकों की सेवाएं ली जाएंगी। आयुष मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार अपने वादे से अब मुकर रही है।

आयुष मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेश प्रावक्ता डॉ. राकेश पाण्डे कहते हैं कि प्रदेश में आज 14 हजार आयुष चिकित्सक रोजगार की तलाश में हैं। इनको काफी प्रयासों के बाद भी रोजगार नहीं मिल रहा है। यदि गांवों में इनको तैनाती का मौका दिया जाता है तो वहां न केवल स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होंगी बल्कि आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सकों की समस्याओं का भी समाधान होगा।

डॉ. पाण्डे कहते हैं कि कुछ दिनों पहले स्वास्थ्य राज्य मंत्री महेन्द्र हार्डिया ने यह कहा था कि सरकार आयुष चिकित्सकों की सेवाएं गांवों में लेगी, लेकिन हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि अब बीडीएस डॉक्टरों को गांवों में भेजा जाएगा। उनके बयान और निर्णय का हम विरोध नहीं करते हैं, लेकिन आयुष डॉक्टरों के विषय में भी सरकार को सोचना चाहिए। पहले हमारी मांग थी कि गांवों में आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी डॉक्टरों की सेवाएं ली जाएं।

आयुष मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारी कहते हैं कि और राज्यों में आयुष चिकित्सकों को महत्व मिलता है, लेकिन प्रदेश में उनकी खासी अनदेखी की जा रही है। न तो आयुर्वेद, होम्योपैथी की पीजी सीटें बढ़ाने की ओर ध्यान दिया गया और न ही आयुष चिकित्सकों की समस्याओं का समाधान हो सका है। अन्य प्रदेश के मुकाबले मध्यप्रदेश में आयुष डॉक्टरों की हालत ज्यादा खराब है(दैनिक भास्कर,जबलपुर,23.8.11)।

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