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12 अगस्त 2011

जयपुर के सिर्फ पांच कॉलेजों के पास एनबीए

शहर में जिस तरह इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या बढ़ रही है, उसके अनुसार तकनीकी शिक्षा के स्तर में सुधार नहीं हो रहा है। इसका अनुमान शहर में नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडिटेशन (एनबीए) से संबद्ध कॉलेजों की संख्या से लगाया जा सकता है। शहर के सिर्फ पांच संस्थानों के इंजीनियरिंग प्रोग्राम्स को एनबीए एक्रीडिटेशन मिला है। इससे साफ है कि टेक्निकल एजुकेशन की क्वालिटी में कोई सुधार नहीं हुआ है।

संस्थानों की स्थिति

प्रदेश में करीब 130 इंजीनियरिंग कॉलेज, 19 प्राइवेट यूनिवर्सिटीज और 8 डीम्ड यूनिवर्सिटी हैं। इनमें से सिर्फ सात संस्थानों को एनबीए मिला है। दूसरे राज्यों पर नजर डालें एआईसीटीई के अनुसार अब तक तमिलनाडु के कुल 164, महाराष्ट्र के 137, आंध्रप्रदेश के 71, कर्नाटक के 72, यूपी के 63 और गुजरात के 28 कॉलेजों को एक्रीडिटेशन मिल चुका है।

क्या है एनबीए?


नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडिटेशन एआईसीटीई की ही एक बॉडी है, जो तकनीकी शिक्षा में गुणवत्ता के मानक तय करती है। एनबीए टीम संस्थानों का दौरा कर एकेडमिक स्टैंडर्ड, फैकल्टी, इंफ्रास्ट्रक्चर, लाइब्रेरी और लैब समेत सभी सुविधाओं की पड़ताल करती है। इंटरेक्शन भी किया जाता है। निर्धारित मानकों और सभी पैमानों पर खरे उतरने के बाद कॉलेज की ब्रांचों को एनबीए दिया जाता है। 

बनते हैं ग्रांट के हकदार

एनबीए मिलने के बाद कॉलेज क्वालिटी इम्प्रूवमेंट के लिए विशेष ग्रांट के योग्य हो जाते हैं। वे सेंट्रल गवर्नमेंट की मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसर्च एंड डवलपमेंट, एआईसीटीई और नेशनल-इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन की ग्रांट और फंडिंग स्कीमों पा सकते हैं। 

कॉलेज मौजूद सुविधाओं के अनुसार सीटें भी बढ़ा सकते हैं। एनबीए स्टूडेंट्स के लिए भी खास है। इस बैंचमार्क के बाद स्टूडेंट्स के फॉरेन टूर, ट्रेवल और पार्टिसिपेशन एआईसीटीई से स्पांसर हो पाते हैं, जिससे उन्हें ग्लोबल एक्सपोजर मिलता है। 

आरटीयू के वीसी प्रो. आर. पी. यादव का कहना है

प्रश्न- 130 इंजीनियरिंग कॉलेज होने के बाद भी कुछ को ही एनबीए मिलने का कारण? 
उत्तर- इसका कारण कॉलेजों के देरी से शुरू होना है, एनबीए 5 साल से ज्यादा वालों को मिलता है। 
प्रश्न- आपकी ओर से एजुकेशन क्वालिटी बढ़ाने के निर्देश दिए जाते हैं? 
उत्तर- निर्देश तो नहीं दिए जाते, लेकिन समय-समय पर एडवाइज किया जाता है। 
प्रश्न- एनबीए पाने के लिए इन्हें बाध्य नहीं किया जा सकता या कोई नियम नहीं है? 
उत्तर- ऐसे कोई नियम भी नहीं हैं और न ही बाध्य किया जा सकता है। इसके कारणों में बच्चों का जिस कॉलेज से पढ़ना उसी में लेक्चरार बन जाना और प्रिंसिपल्स भी एक्सपीरियंस नहीं होना आदि(विजय सिंह,दैनिक भास्कर,जयपुर,12.8.11)।

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