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19 अगस्त 2011

राजस्थान में पांच लाख बच्चे स्कूल से दूर

राजस्थान में शिक्षा से वंचित बच्चों को स्कूलों से जो़ड़ने के शिक्षा विभाग के प्रयास नकारा साबित हो रहे हैं। राजस्थान सरकार की ओर से हाल ही में शिक्षकों को घर-घर भेजकर चाइल्ड ट्रैकिंग सर्वे कराया गया था, जिसमें १२ लाख बच्चे स्कूल से वंचित पाए गए थे। इसके बाद सरकार ने प्रवेशोत्सव के दौरान शिक्षकों को घर-घर भेजकर इन बच्चों को स्कूल में लाने के प्रयास किए, जिसका भी सकारात्मक परिणाम नहीं निकल पाया है। शिक्षा विभाग के आंक़ड़ों के अनुसार राजस्थान में अभी भी ३५ फीसदी बच्चे स्कूल से नहीं जु़ड़ पाए हैं। १५ अगस्त तक राज्य में स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों की संख्या करीब पांच लाख बताई जा रही है।

उदयपुर संभाग में सबसे ज्यादा ४५ हजार बच्चे स्कूलों से वंचित पाए गए हैं जबकि भरतपुर और जोधपुर संभाग में करीब २५-२५ हजार बच्चें स्कूल से नहीं जु़ड़ पाए हैं। राजधानी जयपुर में भी २३ हजार बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं। राजस्थान में जुलाई से सितंबर माह के बीच चलाए गए चाइल्ड ट्रेकिंग सर्वे में १२ लाख बच्चे स्कूलों से वंचित पाए गए। इसके बाद सरकार ने एक मई से १५ मई तक, एक जुलाई से ३१ जुलाई तक स्कूलों में प्रवेशोत्सव मनाकर शिक्षिकों की टोलियां बच्चों को स्कूल से जो़ड़ने के लिए घर-घर भेजी गई। इसमें भी कामयाबी नहीं मिली तो प्रवेशोत्सव की अवधि १५ अगस्त तक ब़ढ़ा दी गई। राज्यभर में बच्चों को स्कूल से जो़ड़ने के लिए करीब एक लाख शिक्षिकों को घर-घर भेजा गया, लेकिन इस कवायद के बाद भी प्रदेश में करीब पांच लाख बच्चे स्कूलों से नहीं जु़ड़ पाए। शिक्षा विभाग के प्रवेशोत्सव में प्रदेश में १०० विकलांग और मंदबुद्घि बच्चों को भी स्कूलों में प्रवेश नहीं मिल पाया। जोधपुर, भरतपुर और बीकानेर संभाग में एक भी विकलांग बच्चे को प्रवेशोत्सव के दौरान स्कूलों में प्रवेश नहीं मिल पाया।


प्रवेशोत्सव के दौरान स्कूल से जु़ड़ने वाले बच्चों में बालिकाओं की संख्या ज्यादा है। मसलन, जोधपुर संभाग में २५ हजार १६ ल़ड़कों को स्कूलों से जो़ड़ा गया है, जबकि ल़ड़कियों की संख्या सा़ढ़े २५ हजार है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में शिक्षा से वंचित सभी बच्चों को स्कूलों से जो़ड़ा जाएगा, इसके लिए प्रवेशोत्सव की अवधि और ब़ढ़ाई जा सकती है(नई दुनिया,दिल्ली संस्करण,19.8.11 में जयपुर की रिपोर्ट)।

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