मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

22 अगस्त 2011

डीयूःसीट से अधिक दाखिला,कॉलेजों में अफरा-तफ़री

रामजस कॉलेज में भौतिकी आनर्स में सीटें ९२ हैं पर दाखिला करीब १७० छात्रों ने लिया है। क्लास में क्षमता से दोगुना बच्चे आने पर पढ़ाई लिखाई में अव्यवस्था सी छा गई है। यह हाल सिर्फ रामजस कॉलेज का नहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय के दूसरे कई कॉलेजों का भी है। शिक्षक जहां प्राचार्य पर संसाधन नहीं मुहैया कराने का आरोप मढ़ रहे हैं वहीं प्राचार्य दाखिले देनेवालों को। दोनों की खींचतान के बीच छात्र परेशान हैं।


इस बार बिना आवेदन फार्म लिए चार दिन तक दाखिला लेने की छूट मिलने पर कॉलेजों में जमकर दाखिले हुए हैं। रामजस कॉलेज के शिक्षक जीएस चिलाना कहते हैं, पिछले साल से इस बार दो फीसदी ऊपर कट ऑफ रखी गई थी फिर भी भौतिकी आनर्स में ९२ की जगह २२० छात्रों ने दाखिला लिया। करीब पचास छात्रों ने दाखिला रद्द करा लिया है। इसके बावजूद १७० छात्र अब भी हैं। इनके दो सेक्शन बना दिए गये हैं। थियरी की पढ़ाई तो करा दी जा रही है पर प्रैक्टिकल में खासी दिक्कत आ रही है। पहले जहां दो छात्रों का ग्रुप मिलकर प्रैक्टिकल करता था, अब चार और पांच छात्रों का ग्रुप बनाया गया है। लैब में इतनी बड़ी संख्या के लिए उपकरण नहीं है। रसायनशास्त्र में भी यहां ९२ सीटों पर करीब २५० छात्रों ने दाखिला लिया है। सांख्यिकी और बीए प्रोग्राम में भी क्षमता से ज्यादा छात्रों को प्रवेश मिला है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने कॉमर्स और आर्ट्स में पिछले साल फेल हुए छात्रों को भी पुनर्दाखिला देने को कहा है इसलिए भी क्लासरूम पर बोझ बढ़ता जा रहा है। जाकिर हुसैन कॉलेज के प्राचार्य एसए हामीदीन कहते हैं, राजनीतिशास्त्र में क्षमता में कहीं ज्यादा छात्रों का दाखिला हो गया है। इनकी पढ़ाई प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है। 

कॉलेज में कई बार क्लास रूम में जगह नहीं मिल पाने पर छात्र हाजिरी लगाकर बाहर आ जाते हैं। आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज, खालसा व अन्य कई कॉलेजों का भी यही हाल है। दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स के परिसर में स्थित भूगोल विभाग में एमए प्रथम वर्ष में भी अक्सर दो चार छात्र सीट नहीं मिलने पर खड़े खड़े क्लास करने को मजबूर होते हैं। 

उनकी परेशानी न प्रशासन सुनने को तैयार हैं न संबंधित विभाग। विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि कॉलेजों को संसाधन तैयार करने के लिए फंड दिया जा चुका है। लेकिन बहुत सारे कॉलेजों ने इसको लेकर उचित तैयारी नहीं की है जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है(नई दुनिया,दिल्ली,22.8.11)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।