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04 अगस्त 2011

छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिलिंग: टॉपरों को भी छूटे पसीने

पीएमटी के फर्जीवाड़े का साया बुधवार को आयोजित काउंसिलिंग में छाया रहा। मेडिकल कॉलेज में आयोजित काउंसिलिंग में डाक्टरी की एक-एक सीट अच्छी तरह पड़ताल करने के बाद बांटी गई। टॉपरों की इतनी तगड़ी स्क्रीनिंग की गई कि उनके पसीने छूट गए।

पं. जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज के लेक्चर हाल में चिकित्सा शिक्षा संचालनालय द्वारा काउंसिलिंग का आयोजन किया गया था। तीनों मेडिकल कालेज के लिए काउंसिलिंग हुई। पीएमटी में पर्चा लीक का फर्जीवाड़ा होने के कारण सीटें आवंटित करने में बेहद सावधानी बरती गई।


इस बात को ध्यान में रखकर प्रत्येक उम्मीदवार की स्क्रीनिंग की गई। उसके बाद ही सीटें आवंटित हुईं। सुबह 9 बजे से शुरू हुई काउंसिलिंग में शामिल होने के लिए उम्मीदवार 8 बजे से ही मेडिकल कालेज परिसर में जमा होने लगे थे। हॉल के अंदर और बाहर पुलिस की कड़ी व्यवस्था की गई। खुफिया नजरें एक-एक उम्मीदवार पर टिकी थीं।

ऐसे बांटीं सीटें

कांउसिलिंग हॉल के भीतर उम्मीदवार के साथ केवल एक रिश्तेदार या प्रतिनिधि को प्रवेश दिया गया। प्रवेश देने से पहले मुख्य द्वार पर उपस्थित पुलिस कर्मियों ने प्रत्येक कॉल लेटर की जांच की। प्रत्येक स्तर पर दस्तावेजों की इतनी बारीकी से छानबीन की जा रही थी कि छात्रों के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं। 

पीएमटी में अच्छी रैंक होने के बावजूद उम्मीदवार इस बात को लेकर झिझक रहे थे कि कहीं कोई दस्तावेज गड़बड़ न हो जाए। चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के डायरेक्टर डॉ. सुबीर मुखर्जी पूरे समय व्यवस्था का जायजा लेते रहे। 

उन्होंने समय-समय पर छात्रों को चेतावनी भी दी कि फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत करने वालों को सीधे जेल की हवा खानी पड़ेगी। काउंसिलिंग प्रभारी रायपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. एके शर्मा, बिलासपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. एसके मोहंती, जगदलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद नेरल, डॉ. एनके गांधी, डॉ. सूरज अग्रवाल, डॉ. सिध्दार्थ पैकरा, डॉ. मानिक चटर्जी, डॉ. विजय कापसे डॉ. सुमित त्रिपाठी, डॉ. रेणुका गहिने उपस्थित थे।

वीडियोग्राफी और बायोमेट्रिक जांच से गुजरे छात्र

दस्तावेजों के परीक्षण के तुरंत बाद उम्मीदवारों को हॉल से दूसरे कक्ष में ले जाया गया। वहां परीक्षा के दौरान जिस परीक्षा केंद्र में छात्र ने परीक्षा दी थी उसके वीडियो की जांच की गई। इसमें छात्रों के चेहरे का मिलान किया गया। इसके अलावा छात्रों के अंगूठे के निशान लिए गए। अंगूठे के निशान की बायोमैट्रिक जांच की गई। परीक्षा केंद्र में लगाए गए अंगूठे के निशान और काउंसिलिंग के समय लिए गए अंगूठे के निशान की जांच के लिए फोरेंसिक लैब के विशेषज्ञ उपस्थित थे। म्यूजियम हॉल में इस जांच के लिए हाईटेक उपकरण लगाए गए थे।

इन सीटों का आवंटन

पहले दिन की काउंसिलिंग में मेरिट क्रमांक 1 से 100 तक के छात्रों के अलावा आरक्षित वर्ग की सीटों के लिए क्रमांक से 1 से 10 तक के उम्मीदवारों को आमंत्रित किया गया था। सबसे पहले रायपुर मेडिकल कॉलेज की सीटों का आवंटन किया गया। दो घंटे में ही एमबीबीएस की सामान्य सीटों का आवंटन कर दिया गया। इसी तरह पहले दिन ही जगदलपुर मेडिकल कॉलेज की (ऑल इंडिया कोटे की छोड़कर) सभी 18 सीटों का आवंटन कर दिया गया।

स्क्रूटनी से शुरू हुई प्रक्रिया

काउंसिलिंग की शुरुआत उम्मीदवारों के दस्तावेजों की स्क्रूटनी के साथ हुई। दोपहर 12 बजे तक फॉर्म की स्क्रूटिनी और जांच होती रही। ऑडिटोरियम के मंच पर उपस्थित डीएमई, रायपुर और बिलासपुर मेडिकल कॉलेजों के अफसरों ने छात्रों को माइक पर बुलाना शुरू किया। 

उम्मीदवार के मंच पर पहुंचने के साथ ही उससे एक फॉर्म भरवाया गया। इसमें व्यापमं को दी गई समस्त जानकारी थी। इस फॉर्म में दी गई जानकारी और ओएमआर फॉर्म में दी गई जानकारी को क्रास चेक किया गया। किसी भी तरह की जानकारी पर संदेह होने पर छात्र के साथ-साथ प्रतिनिधि से भी कई सवाल किए गए। इसमें माता-पिता का नाम, स्कूल की पढ़ाई, निवास स्थान आदि से संबंधित कई सवाल पूछे गए।

रायपुर मेडिकल कॉलेज (60 सीटों का आवंटन)

- नो क्लास की 37, फीमेल की 19, फ्रीडम फाइटर की 2 और सैनिक कोटे की 2 सीटों का आवंटन किया गया। 

- बिलासपुर मेडिकल कॉलेज (26 सीटों का आवंटन) 

- नो क्लास की 26, फीमेल 12 और फ्रीडम फाइटर कोटे की 1 सीट का आवंटन। 

- जगदलपुर मेडिकल कॉलेज (18 सीटों का आवंटन) 

- इसमें नो क्लास, महिला और कुछ आरक्षित वर्ग की सीटें शामिल हैं।

अव्यवस्था ने किया बुरा हाल

कई तरह की जांच होने की वजह से काउंसिलिंग स्थल पर अव्यवस्था छाई रही। छात्रों को एक हॉल से दूसरे हॉल में ले जाने और फिर वापस लाने में काफी समय लगा। इससे उम्मीदवारों के साथ आए उनके अभिभावकों ने नाराजगी भी जाहिर की। पालकों का कहना था कि कुछ फर्जी छात्रों की वजह से सभी को परेशान होना पड़ रहा है। 

काउंसिलिंग के दौरान ही विकलांग छात्रा मनीषा गुप्ता के विकलांगता सर्टिफिकेट को लेकर अफसरों और छात्रा के बीच बहस होती रही। मनीषा ने अंबिकापुर शिविर में लगे चिकित्सा शिविर से जारी विकलांगता सर्टिफिकेट से सीट का आवंटन चाहा, लेकिन अफसरों ने कहा कि डीएमई या जिला चिकित्सा बोर्ड से जारी सर्टिफिकेट ही मान्य किया जाएगा। इस वजह से छात्रा को सीट का आवंटन नहीं किया गया।

आज इनकी काउंसिलिंग

4 अगस्त को रायपुर, बिलासपुर और जगदलपुर मेडिकल कॉलेजों में आरक्षित वर्ग की सीटों का आवंटन किया जाएगा। इसके बाद 5 अगस्त को डेंटल कॉलेजों की सीटों का आवंटन करने के बाद 6 अगस्त को सभी खाली सीटों के लिए उम्मीदवारों को आमंत्रित किया गया है(दैनिक भास्कर,रायपुर,4.8.11)।

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