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10 अगस्त 2011

यूपीःबीपीएड, डीपीएड वालों की गुहार एनसीटीई तक पहुंचाएगी सरकार

राज्य सरकार बीएड की तरह बीपीएड, डीपीएड और सीपीएड पाठ्यक्रमों को भी प्राथमिक कक्षाओं में शिक्षकों की भर्ती के लिए निर्धारित शैक्षिक योग्यताओं में शामिल करने के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से अनुरोध करेगी। इस बारे में शासन स्तर पर सहमति बनने के बाद जल्दी ही इस संदर्भ में एनसीटीई को पत्र भेजने की तैयारी है। राज्य सरकार एनसीटीई को यह तर्क देगी कि चूंकि 2004 तथा 2007-08 में हुई विशिष्ट बीटीसी भर्तियों में भी बीपीएड, डीपीएड और सीपीएड पाठ्यक्रम उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों को मौका दिया गया था, इसलिए उन्हें आगे भी मौका दिया जाए। राज्य सरकार एनसीटीई से यह अनुरोध करेगी कि वह प्राथमिक व उच्च प्राथमिक कक्षाओं में भर्ती किये जाने वाले शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता निर्धारित करने के लिए 23 अगस्त 2010 को जारी अधिसूचना को संशोधित करे। संशोधन के तहत प्राथमिक कक्षाओं में शिक्षकों की भर्ती के लिए प्रस्तावित विशेष अनिवार्य प्रशिक्षण की शैक्षिक योग्यता में बीएड के अलावा बीपीएड, डीपीएड व सीपीएड पाठ्यक्रमों को शामिल करने की मांग की जाएगी। प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की जबर्दस्त कमी है। सूबे के परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों के 6,37,852 पद सृजित हैं। इनमें से सिर्फ 4,49,121 पदों पर ही शिक्षक कार्यरत हैं। शेष 1,88,731 पद खाली हैं। राज्य में प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए शैक्षिक योग्यता स्नातक व बीटीसी है। प्रदेश में बीटीसी की कुल 15250 सीटें हैं। वहीं राज्य में हर साल परिषदीय स्कूलों के तकरीबन 14000 शिक्षक रिटायर हो जाते हैं। इन परिस्थितियों में बीटीसी योग्यताधारी शिक्षकों के बूते ही शिक्षा के अधिकार अधिनियम में निर्धारित अवधि में राज्य में शिक्षकों की कमी को दूर कर पाना संभव नहीं है(दैनिक जागरण,लखनऊ,10.9.11)।

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