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06 अगस्त 2011

उच्च शिक्षा के विकल्प को तैयार करने में लगा यूजीसी

दिल्ली में स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले को लेकर जबरदस्त मारामारी रहती है। दिल्ली विवि के दाखिलों के दौरान ऐसा देखेने में आया है। दिल्ली में छात्रों को उच्च शिक्षा मुहैया हो इसके लिए यूजीसी राज्य के विवि की सहायता करने में लगा है।

राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में डी.पुरंदेश्वरी ने कहा कि दिल्ली में कॉलेजों की जितनी संख्या है वह छात्रों की मांग की पूर्ति नहीं कर पा रही है। ऐसे में यूजीसी राज्य के विश्वविद्यालयों की इस मामले में मदद कर रहा है ताकि वह अपने क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करा सकें। उन्होंने कहा कि जहां तक डीयू की कटऑफ का प्रश्न है तो विवि प्रत्येक शैक्षिक सत्र के लिए विभिन्न पाठयक्रमों में प्रवेश संबंधी मानक तय करता है और इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं होती।


मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डी पुरंदेश्वरी ने राज्यसभा में कहा कि श्रीराम कालेज ऑफ कॉमर्स ने बी कॉम ऑनर्स में प्रवेश के लिए ऐसे छात्रों के लिए 100 फीसदी कट ऑफ तय किया था जिन्होंने चार विषयों, लेखाशास्त्र, व्यवसाय अध्ययन, अर्थशास्त्र और गणित में से किसी भी विषय का अध्ययन नहीं किया था।

खाली रह जाती हैं सीटें
पुरंदेश्वरी ने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों में कुछ सीटें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, शारीरिक रूप से विकलांग छात्रों के लिए आरक्षित होती हैं। इनमें से कुछ सीटें रिक्त ही रह जाती हैं।

पुरंदेश्वरी के अनुसार, दिल्ली विश्वविद्यालय ने सूचित किया है कि वह केंद्रीय शिक्षा संस्था प्रवेश में आरक्षण अधिनियम 2006 का कड़ाई से पालन कर रहा है। लेकिन इसके लिए कट ऑफ संबंधी निर्धारित मानक पूरे न होने की वजह से सीटें रिक्त रह जाती हैं। यह मामला अदालत में विचाराधीन भी है। उन्होंने कहा कि 13वें वित्त आयोग ने प्राथमिक शिक्षा के लिए 24068 करोड़ रुपए फंड प्रस्तावित किया है(हिंदुस्तान,दिल्ली,6.8.11)।

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