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08 अगस्त 2011

हिमाचलःसरकार के दायरे में नहीं अनुबंध कर्मचारी

अनुबंध पर काम करने वाले समझ लें कि वह सरकार के कर्मचारी नहीं हैं। ऐसे में सवाल खड़ा हो गया है कि प्रशासनिक जिम्मेदारी का काम गैर सरकारी कर्मचारी किस तरह से कर रहे हैं।

राज्य लोक सेवा आयोग से चयनित होकर आने वाले हजारों कर्मियों के भविष्य पर तलवार लटक गई है। आयोग व कार्मिक विभाग ने सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत 18 हजार कर्मचारियों को सरकारी दायरे से बाहर घोषित कर दिया है। 2005 के बाद से सरकार के समस्त विभागों में नौकरी करने वाले कर्मचारी हैरान हैं। मार्च 2010 में सरकारी विभागों में अनुबंध कर्मचारियों की संख्या 9630 थी।

सुविधाओं से दूर हैं अनुबंधकर्मी
बेसिक के अतिरिक्त सालाना ग्रेड पे की 3 फीसदी की वेतन वृद्धि के ही अनुबंध कर्मी हकदार हैं। इनको स्वास्थ्य, डीए, सीपीएफ, स्टडी लीव की सुविधा नहीं है। पहले इन कर्मियों को 10 आकस्मिक अवकाश की सुविधा थी जिसे बढ़ाकर 12 कर दिया गया है।


2005 के बाद लोक सेवा आयोग से चयनित होकर आए 600 कॉलेज व स्कूल लेक्चर दूसरे विभागों के 5000 कर्मियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा प्राप्त नहीं है। स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों की नियुक्ति भी अनुबंध आधार पर हो रही है। अनुबंध नियुक्ति को लेकर आयोग ने कहा कि ये कर्मचारी ऑफ-सेटिंग आधार पर रखे गए हैं। ऐसे में सरकारी कर्मचारी होने का दावा निराधार है। आयोग ने कहा कि जब तक सरकार नियमों में संशोधन करके सरकारी कर्मचारी होने का प्रावधान नहीं कर देती है तब तक इन्हें सरकारी नहीं माना जा सकता। सरकार ने जनवरी 2011 में भी अनुबंध कर्मचारियों के भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में संशोधन किया। अब अनुबंध के तहत रखने के लिए एक फॉर्मूला बनाने की प्रक्रिया चल रही है।

सरकारी दर्जा चाहिए
राज्य अनुबंध कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष जोगेंद्र सकलानी व महासचिव मनोज शर्मा ने कहा कि जब हमारी नियुक्ति आयोग से हुई है तो अनुबंध कर्मियों को सरकारी कर्मचारी होने का दर्जा मिलना चाहिए(प्रकाश भारद्वाज,दैनिक भास्कर,शिमला,8.8.11)।

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