मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

13 अगस्त 2011

एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में करिअर

एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग, इंजीनियरिंग की वह शाखा है, जिसके अंतर्गत कृषि संबंधी क्षेत्रों जैसे मिट्टी, खाद्य पदार्थ, बीज, बायोलॉजिकल सिस्टम में तकनीक का प्रयोग करना सिखाया जाता है। इस क्षेत्र के प्रोफेशनल अपनी नॉलेज और स्किल से कृषि संबंधी समस्याओं को सुलझाते हैं। पिछले साल की तुलना में सरकार ने कृषि के लिए 300 करोड़ रुपए अधिक दिए हैं। बाजरा, ज्वार, रागी, मक्का और अन्य मोटे पौष्टिक अनाजों का उत्पादन बढ़ाने के लिए नवीन टेक्नोलॉजी लाने की बात कही है। इस तरह नई-नई तकनीक फसलों का उत्पादन तो बढ़ाएगी ही, नौकरी के अवसर भी प्रदान करेगी।

एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग का कार्य
एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग इस बात को सुनिश्चित करती है कि कृषि की परंपरागत विधियों के स्थान पर मशीनों का प्रयोग कर लाभ को कैसे बढ़ाया जाए। कृषि के क्षेत्र में आने वाले सूक्ष्म से बड़े स्तर तक के उपकरणों का विकास एवं निर्माण एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग का काम है। साथ ही कृषि भूमि उपयोग में आने वाले बीज और खादों की भी जानकारी देना इसकी विशेषता में शामिल है।
कौन-कौन से हैं कोर्स
ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन दोनों तरह के कोर्स उपलब्ध हैं:
ग्रेजुएशन कोर्स
बीटेक, एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग

बीटेक कोर्स में एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स को साइंस सब्जेक्ट के साथ (फिजिक्स, कैमिस्ट्री, मैथ्स)10+2 होना चाहिए। हर साल आईआईटी, राज्य सरकारें, विभिन्न यूनिवर्सिटीज एंट्रेंस टेस्ट कंडक्ट करती हैं। ग्रुप डिस्कशन के बाद उत्तीर्ण छात्रों को एडमिशन दिया जाता है। इसके अलावा इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च भी एक ऑल इंडिया प्रवेश परीक्षा के माध्यम से सेंट्रल एवं स्टेट एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की15 प्रतिशत सीटों पर एडमिशन देता है। ये परीक्षाएं अप्रैल से जून तक आयोजित की जाती हैं।

पोस्ट ग्रेजुएशन 
एमटेक/एमएससी
पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में प्रवेश पाने के लिए बीटेक होना जरूरी है। इसके अलावा गेट एंट्रेंस टेस्ट के जरिए फिजिक्स, मैथ्स आदि क्षेत्र में पोस्ट ग्रेजुएट भी एमटेक (एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग) में एडमिशन मिलता है। बीटेक (एग्रो. इंजीनियरिंग) किए हुए छात्रों को एंट्रेंस टेस्ट और मेरिट, दोनों तरह से एमटेक में एडमिशन दिया जाता है।
करियर ऑप्शन्स
हाल के सालों में चारा विकास, मिट्टी की सेहत और जैविक खेती के क्षेत्र में निवेश किया जा रहा है। इसके अलावा रासायनिक उर्वरक, जमीन की गुणवत्ता को बढ़ाने, शुष्क इलाकों में पोषक अनाजों की खेती आदि चीजों को बढ़ावा मिल रहा है। ऐसे में कृषि इंजीनियर्स की खास जरूरत होगी और आने वाले वर्षो में इस क्षेत्र में ढेर सारे रोजगार प्राप्त होंगे। वैसे इस क्षेत्र में ज्यादा जॉब प्राइवेट कंपनियां दे रही हैं। ट्रैक्टर बनाने वाली कंपनियां, सिंचाई के उपकरण बनाने वाली कंपनियां, बीज बनाने वाली कंपनियां, खाद बनाने वाली कंपनियां अपने यहां सेल्स, मैनेजमेंट, मार्केटिंग तथा रिसर्च के क्षेत्र में जॉब दे रही हैं। क्वालिफाइड प्रोफेशनल्स के लिए प्रोडक्शन, सेल्स, मैनेजमेंट, रिसर्च जैसे क्षेत्र में जॉब के अवसर हैं। इसके अलावा कई कंपनियां प्लेसमेंट के जरिए छात्रों की नियुक्ति करती हैं। प्लेसमेंट के माध्यम से नियुक्त छात्रों को सालाना 3 लाख से ज्यादा सैलरी मिलती है।
प्रमुख संस्थान
इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली
हिसार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, हिसार (हरियाणा)
जेबी पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, पंतनगर 
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना, पंजाब
आनंद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, आणंद, गुजरात 
इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीटय़ूट, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
विदेश में भी है खूब मांग
एक्सपर्ट व्यू/इंद्रमणि
सीनियर साइंटिस्ट, आईएआरई, एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट
एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग क्या है और इसके माध्यम से किस तरह समस्याओं का समाधान संभव है?
एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग एक ऐसा क्षेत्र है, जहां नवीनतम टेक्नोलॉजी के माध्यम से फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए मिट्टी, खाद और बीजों पर तरह-तरह के रिसर्च किए जाते हैं। इसके अलावा एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में मैकनाइजेशन के तहत भूमि संरक्षण, जल व मृदा संरक्षण, सिंचाई व्यवस्था तथा बायोलॉजिकल सिस्टम में तकनीक का प्रयोग भी स्टूडेंट्स को सिखाया जाता है। इस फील्ड के प्रोफेशनल एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में अपनी नॉलेज और स्किल द्वारा कृषि में क्रांति का प्रयास करते हैं।
एक क्वालिफाइड प्रोफेशनल के लिए इस फील्ड में क्या संभावनाएं हैं?
देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में, खासकर यूरोपीय देशों में एग्रीकल्चर इंजीनियर्स की खूब मांग है। अमेरिका, कनाडा जैसे विकसित देशों में बायो सिस्टम के नाम से कॉलेज हैं और भारतीय एग्रीकल्चर साइंटिस्ट वहां ऊंचे पदों पर कार्यरत हैं। आजकल आईआईटी खड़गपुर भी एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में डिप्लोमा, डिग्री जैसे कोर्स करवा रहा है। इस फील्ड में कई आईआईएम स्टूडेंट्स भी भाग्य आजमा रहे हैं। बेहतर उत्पादकता की वजह से एग्रीकल्चर विशेषज्ञों की मांग बढ़ने लगी है।
किन-किन कंपनियों में एग्रीकल्चर इंजीनियर्स की खास डिमांड है?
वैसे तो एग्रीकल्चर के हर फील्ड में एग्रीकल्चर इंजीनियर्स की खासी मांग है, लेकिन आज राष्ट्रीय बागबानी मिशन, खाद्य सुरक्षा मिशन और नरेगा मिशन में इनकी डिमांड है।
नौकरी के और बेहतर अवसर?
आज इस क्षेत्र में प्राइवेट और सरकारी, दोनों जगह अवसर हैं। वैसे इस क्षेत्र में ज्यादा जॉब प्राइवेट कंपनियां दे रही हैं। ट्रैक्टर बनाने वाली कंपनियां, सिंचाई के उपकरण बनाने वाली कंपनियां, बीज बनाने वाली कंपनियां, खाद बनाने वाली कंपनियां, सेल्स, मैनेजमेंट, मार्केटिंग तथा रिसर्च के क्षेत्र में भारी मांग है।
सैलरी के बारे में बताएं?
जहां तक सैलरी का सवाल है, सरकारी कार्यालयों में एक जूनियर साइंटिस्ट की तनख्वाह 42,000 रुपए तक है, जबकि गैर सरकारी इंस्ट्रीज में पैकेज की व्यवस्था है। वहां 5 लाख तक का पैकेज कंपनियां ऑफर करती हैं(अशोक वशिष्ठ, हिंदुस्तान,दिल्ली,10.8.11)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।