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18 अगस्त 2011

प्रैक्टिस बनाए परफेक्ट

किसी भी काम की आप जितनी प्रैक्टिस करेंगे, सफलता की संभावना उतनी ही बढ़ जाएगी।

सिर्फ प्लानिंग से ही बात नहीं बनती, बल्कि किसी भी उद्देश्य को लेकर की गई प्लानिंग तभी सफलता की ओर ले जाती है, जब उससे संबंधित कार्यों की प्रैक्टिस की जाए। असल में उचित योजना और निरंतर अभ्यास के बल पर ही मंजिल तक पहुंचा जा सकता है। आपके पास क्षमता हो सकती है, आप प्रतिभावान हो सकते हैं, आपमें दृढ़ इच्छाशक्ति हो सकती है और आपमें आत्मविश्वास भी हो सकता है। इसके बावजूद यदि अपने काम का अभ्यास आप नहीं करेंगे, तो आपका प्रदर्शन उस हद तक नहीं हो सकता, जैसी आपकी अपेक्षा थी। यदि आप परफेक्ट होना चाहते हैं तो प्रैक्टिस जरूरी है।


यदि मानव जीवन पर नजर डालें तो बचपन से ही सीखने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है और यह सीखना सतत अभ्यास के माध्यम से ही होता है। चाहे चलना हो या बोलना, अभ्यास से बच्चा सबकुछ सीखता है। वह बार-बार गिरता है, फिर उठकर चल देता है। धीरे-धीरे वह चलना सीख जाता है। बार-बार वह गलत बोलता है, पर बोलते-बोलते सही बोलना सीख जाता है। सिर्फ बचपन में ही नहीं, बल्कि ताउम्र अभ्यास की यही प्रक्रिया व्यक्ति को संपूर्ण ज्ञानोपार्जन में मदद करती है।
कोई भी फील्ड हो, चाहे वह स्टडी हो, डांस हो, स्पोर्ट्स हो, म्यूजिक हो, लेखन हो, पेंटिंग हो, परफेक्शन के लिए प्रैक्टिस की जरूरत होती है। न तो एक बार की पढ़ाई से कोई एग्जाम पास कर सकता है और न ही किसी कला में माहिर हो सकता है। कई बार तो शुरू में जिस काम को करना बिल्कुल असंभव सा लगता है, प्रैक्टिस के बाद उस में मास्टरी हासिल हो जाती है। यदि व्यक्ति में कोई गुण जन्मजात हो तो भी प्रैक्टिस के बगैर उसमें निखार नहीं लाया जा सकता। 

प्रैक्टिस एक ऐसा मंत्र है, जो हमारे शारीरिक और मानसिक दोनों ही विकास के लिए फिट बैठता है। चाहे मानसिक स्तर पर हमें अपनी क्रिएटिविटी बढ़ानी हो अथवा शारीरिक फिटनेस प्राप्त करनी हो, रोजाना अभ्यास के बल पर ही हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। प्रैक्टिस से ही किसी काम में विशेषज्ञता हासिल होती है और फिर जीवन में निर्धारित मंजिल की ओर कदम तेजी से बढ़ने लगते हैं। 

आप चाहे जो भी काम करते हों, उसमें अपना एक लक्ष्य निर्धारित कर लें। फिर उस तक पहुंचने की सुव्यवस्थित योजना बना लें। इसके बाद उस योजना के तहत काम करना शुरू कर दें। एक बार नहीं, बल्कि बार-बार...यही प्रैक्टिस है। इससे आप अपनी गलतियों को जानेंगे और आपको उन 
गलतियों को सुधारने का मौका भी मिलेगा। मंजिल तभी मिलेगी!(डॉ. मनीषा गिल,अमर उजाला,17.8.11)

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