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05 अगस्त 2011

उत्तराखंडःशिक्षा विभाग में तबादले के ‘खेल’ का खुलासा

शिक्षा विभाग में तबादलों का खेल कैसे चलता है सूचनाधिकार के जरिए इसकी एक दिलचस्प बानगी सामने आई है। एक शिक्षक ने तबादले के लिए कभी अर्जी नहीं दी, मगर उसका तबादला कर दिया गया और तबादले का भत्ता आदि देने से इनकार कर दिया गया। शिक्षक ने सवाल किया तो जवाब दिया गया कि उन्होंने तबादला खुद मांगा था इसलिए उन्हें भत्ता नहीं दिया जा सकता। इस सब खेल के पीछे भले कोई वजह हो मगर सूचनाधिकार से मामले की पोल खुली तो शिक्षा विभाग ने तबादला निरस्त करने के आदेश जारी कर दिए। यह मामला है राजकीय इंटर कालेज बिडोली पौड़ी गढ़वाल के अंग्रेजी प्रवक्ता डा. शिव कुमार श्रीवास्तव का। विभाग ने उनका तबादला पौड़ी से राजकीय इंटर कालेज माकम कैलाश पिथौरागढ़ कर दिया। उन्होंने इस बाबत विभाग से पूछताछ की तो बताया गया कि उन्होंने तबादला खुद मांगा था इसलिए उन्हें स्थानांतरण का मार्ग व्यय आदि नहीं दिया जाएगा। हैरान परेशान डा. श्रीवास्तव ने शिक्षा निदेशालय के लोक सूचनाधिकारी यानी अपर निदेशक से तबादले की अर्जी की प्रति मांग ली। विभाग के विभिन्न स्तरों के अधिकारी अब उन्हें टहलाने में जुट गए। कभी उनसे कहा गया कि उनकी फाइल मंत्रीजी के पास है तो कभी कहा गया कि फाइल मुख्यमंत्री के पास भेजी गई है। इस वजह से उन्हें उनके आवेदन की प्रति दी नहीं जा सकती। खैर देते भी कैसे जब शिक्षक ने अर्जी दी ही नहीं तो विभाग उसे कहां से लाता। बहरहाल सूचना न मिलने पर उन्होंने निदेशक विद्यालयी शिक्षा से विभागीय अपील की लेकिन तब भी सूचना नहीं मिली तो उन्होंने राज्य सूचना आयोग में दस्तक दी। राज्य सूचना आयुक्त प्रभात डबराल ने मुख्य सचिव, विद्यालयी शिक्षा सचिव, शासन के लोक सूचनाधिकारी, शिक्षा मंत्री के निजी सचिव, राज्य शिक्षा एवं अनुसंधान परिषद के लोक सूचनाधिकारी और विभागीय अपीलीय अधिकारीय यानी शिक्षा निदेशक को नोटिस भेजा। उन्होंने शासन को इस मामले पर रिपोर्ट देने को कहा। शासन से आई रिपोर्ट में कहा गया कि 23 अगस्त 2010 के शासनादेश में शिक्षा निदेशक को 369 शिक्षकों का स्थानांतरण पर्वतीय क्षेत्र से पर्वतीय क्षेत्र में किए जाने की इजाजत दी गई थी। राज्य सूचना आयुक्त इससे संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट से साफ है कि सारा प्रशासन और विभाग तबादले के मामले में लीपापोती में जुटा है। इन शिक्षकों को तबादलों के आवेदन पत्र शासन को मुहैया ही नहीं कराए गए बल्कि निदेशालय के प्रस्ताव के आधार पर इन तबादलों की इजाजत शासन ने दी। अब जब राज्य सूचना आयोग के दखल के बाद मामला खुल गया तो अपर शिक्षा निदेशक ने मामले की सुनवाई के दिन आदेश जारी कर डा. श्रीवास्तव का तबादला रद्द कर दिया। के ‘खेल’ का खुलासा सूचना आयोग में पोल खुलने के बाद अपर शिक्षा निदेशक ने निरस्त किया शिक्षक का तबादला पहले दावा किया कि शिक्षक ने खुद दी अर्जी इसलिए नहीं मिल सकता स्थानांतरण का मार्ग भाड़ा फाइल के मंत्री और मुख्यमंत्री के पास होने की बात कहकर कई माह तक टहलाते रहे अधिकारी शिक्षा विभाग की स्थिति हास्यास्पद देहरादून। राज्य सूचना आयुक्त प्रभात डबराल ने इस मामले में विद्यालयी शिक्षा विभाग में फैली भयानक अराजकता पर तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि किसी विभाग की इससे ज्यादा हास्यास्पद स्थिति क्या हो सकता है कि पिछले कई साल से शिक्षा विभाग की स्थानांतरण नीति ही नहीं है। ऐसे में उस विभाग से अपेक्षा भी क्या की जा सकती है। प्रभात डबराल ने यह भी कहा कि क्योंकि आवेदन विभाग के पास था ही नहीं इसलिए वह सूचना देता भी कैसे। इसलिए यह सूचनाधिकार के उल्लंघन का मामला भी नहीं बनता(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,5.8.11)।

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