शिक्षक संघर्ष समिति नागौर ने राजस्थान लोक सेवा आयोग सचिव को ज्ञापन देकर वरिष्ठ अध्यापक भर्ती 2011 में पांच साल के अनुभव की बाध्यता समाप्त करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि यह अप्रासंगिक है।
संघर्ष समिति सदस्य मंगलवार को आयोग पहुंचे। उन्होंने ज्ञापन में बताया कि पांच साल के अनुभव की बाध्यता रख कर बेरोजगारों के साथ अन्याय किया जा रहा है।
राज्य सरकार द्वारा प्रधानाध्यापक माध्यमिक शिक्षा में अनुभव पांच साल रखा गया है। यह पद राजपत्रित तथा आहरण-वितरण अधिकारी का होता है। जबकि प्रारंभिक शिक्षा में वरिष्ठ अध्यापक पद राजपत्रित नहीं होता है। सरकार ने वर्ष 2004 में भर्ती शिक्षकों को पांच साल से पहले ही पदोन्नत कर प्रधानाध्यापक बना दिया। संस्कृत शिक्षा विभाग 2008 में बगैर अनुभव ही वरिष्ठ अध्यापक पद पर नियुक्ति दी गई। उन्होंने पांच साल के अनुभव की बाध्यता समाप्त करने की मांग की ताकि सभी बेरोजगारों को इसका लाभ मिल सके(राजस्थान पत्रिका,अजमेर,10.8.11)।
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