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28 अगस्त 2011

यूपी में छात्रों को न कोर्स की जानकारी न किताबों का अता-पता

उच्च शिक्षा विभाग ने शासनादेश जारी कर विविद्यालयों में न्यूनतम एक समान कोर्स लागू कर दिया है, लेकिन अभी तक छात्रों को न कोर्स की जानकारी है और न ही किताबों का अता-पता है। वह भी तब जबकि विविद्यालयों में नया शैक्षिक सत्र डेढ़ महीने पहले शुरू हो गया था और स्नातक के प्रवेश भी पूरे हो चुके हैं। उल्लेखनीय है कि सचिव उच्च शिक्षा ने 25 अगस्त को शासनादेश जारी कर 67 विषयों में एक समान पाठ्यक्रम के सभी विविद्यालयों में अमल करा दिया है। अभी तक नये कोर्स के मुताबिक किताबें भी नहीं छपीं हैं और छात्र पुराने कोर्स को डेढ़ महीने से पढ़ रहे हैं। नये कोर्स के बारे में उन्हें जानकारी भी नहीं है और शिक्षक भी नये-पुराने की दुविधा में फंस गये हैं। शासन के एक अधिकारी ने कहा कि अब विविद्यालयों को अमल के लिए ठोस रणनीति बनानी होगी। उधर लखनऊ विविद्यालय सम्बद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) के अध्यक्ष डा. मनोज पाण्डेय ने कहा कि सरकार को न्यूनतम एक समान पाठ्यक्रम अगले शैक्षिक सत्र से लागू करना चाहिए था। वह अपनी जिद पर अड़ी है और डेढ़ महीने बाद नये कोर्स के अमल का शासनादेश जारी किया गया है। लखनऊ विविद्यालय शिक्षक संघ के महामंत्री डा. आरबी सिंह ने कहा कि न्यूनतम एक समान कोर्स लागू करने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। एक तो विविद्यालयों की अपनी पहचान पर संकट खड़ा हो जाएगा। बीएससी में दाखिला ले चुके छात्र अभी तक लविवि का कोर्स पढ़ रहा था अब उसे किसी दूसरे कोर्स को पढ़ने के लिए कहा जाएगा, तो उसकी पढ़ाई बाधित होगी, साथ ही किताबों का भी संकट खड़ा हो सकता है। लविवि के सहयुक्त शिया पीजी कालेज के प्राचार्य डा. एमएस नकवी ने कहा कि एक समान कोर्स को लागू करने के लिए अभी जल्द बाजी की जा रही है। शिक्षक तैयार नहीं हुए हैं, किताबों की किल्लत है, लेकिन कोर्स को लागू करने के लिए शासनादेश कर दिया गया। इसके लिए सरकार को शिक्षक तैयार कराने चाहिए, आखिर उन्हें भी खुद में बदलाव लाने के लिए मोहलत चाहिए। सरकार का एक समान कोर्स का निर्णय यूजीसी की नेट परीक्षा के लिहाज से तो डीक है, लेकिन इसमें जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए। लखनऊ विविद्यालय में विधि संकाय के अधिष्ठाता व विभागाध्यक्ष प्रो. ओएन मिश्र ने कहा कि इस बार से लागू नहीं हो सकता है। कानूनी रूप से भी यह गलत है। छात्र ने हमारे पाठ्यक्रम को देखकर प्रवेश लिया है, उनके दाखिले भी पूरे हो चूके हैं, लेकिन अब बीच सत्र में पाठ्यक्रम को बदलने से कई अड़चने पैदा हो जाएंगी। लविवि में बीएससी प्रथम मैथ की छात्रा सौम्या सिंह का कहना है कि सरकार पढ़ाई के साथ मनमानी नहीं कर सकती है। सभी विविद्यालयों में न्यूनतम एक समान कोर्स लागू करने के फायदे कम नुकसान ज्यादा होगा। आखिर कितने छात्रों को पढ़ाई के बीच में विविद्यालय बदलना पड़ता है। सौम्या की अब लविवि में दाखिला देने की खुशी फीकी पड़ गयी(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,27.8.11)।

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