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04 अगस्त 2011

बिहारः ‘कालाजार’ पाठ्यक्रम में शामिल

कालाजार एक ऐसी परजीवी बीमारी है, जो हर वर्ष सैकड़ों लोगों को अपनी गिरफ्त में लेती है और कई लोगों की मौत का कारण भी बनती है। इस बीमारी के बारे में और इस बीमारी के वाहक मच्छर (सैंड फ्लाई) के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए बिहार के स्कूली पाठ्य पुस्तक में एक अध्याय शामिल किया जाएगा।

बिहार सरकार ने राज्य भर के सरकारी स्कूलों में कालाजार पर एक नया अध्याय शामिल करने का निर्णय लिया है।

अब तक 32 की हो चुकी है मौत

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, प्रभावित 38 जिलों में से 31 जिलों के विभिन्न अस्पतालों में लगभग 12000 मामले सामने आए हैं और आधिकारिक रूप से इस बीमारी के कारण इस वर्ष अबतक 32 लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले वर्ष सरकार और गैर सरकारी संगठनों की कोशिश के बावजूद कालाजार से बिहार में कम से कम 87 मौतें हुई थीं और 20,000 से अधिक लोग पीड़ित हुए थे। चिकित्सकीय भाषा में इस बीमारी का नाम ‘विसरल लीशमैनिएसिस’ है।


चल रहा कालाजार निरोधी अभियान

राज्य सरकार ने गंभीर रूप से प्रभावित 16 जिलों में सैंड फ्लाई के वेक्टर का प्रसार रोकने के लिए कालाजार निरोधी एक बड़ा अभियान शुरू कर रखा है। राज्य सरकार ने पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा नेता सीपी ठाकुर के नेतृत्व में इस बीमारी के उन्मूलन के लिए काम करने हेतु एक कार्यबल गठित किया है। 

एनजीओ तैयार कर रहा सिलेबस

बिहार राज्य हेल्थ सोसायटी के कार्यकारी निदेशक संजय कुमार ने कहा कि पटना के एक गैर सरकारी संगठन को कालाजार पर सामग्री तैयार करने के लिए कहा गया है, जिसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। कालाजार के बारे में विद्यार्थियों के बीच जागरूकता पैदा करने की रणनीति का एक हिस्सा है(दैनिक भास्कर,पटना,3.8.11)।

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