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21 सितंबर 2011

बिहारःएनआईटी में बिन मान्यता चल रहा कोर्स

वर्ष 2004 में बिहार अभियंत्रण कालेज का नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी (एनआइटी) में अपग्रेडेशन होते ही आर्किटेक्चर कोर्स के दुर्दिन शुरू हो गये। एनआइटी बनने के पूर्व जिस आर्किटेक्चर कोर्स की विदेशों तक में धाक थी वहीं अब उन्हें कोई घर में भी नहीं पूछ रहा है। संसाधनों के अभाव को देखते हुए वर्ष 2008 में काउंसिल आफ आर्किटेक्चर (सीओए) ने 2005 से ही इस कोर्स की मान्यता समाप्त कर दी थी। बावजूद इसके दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर एनआइटी बदस्तूर इस कोर्स को संचालित कर रहा है। संस्थान की इस नीति का खामियाजा अब छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। छात्रों की माने तो अब उनकी डिग्री पर ही सवाल उठाये जाने लगे हैं। सीओए से रजिस्ट्रेशन न होने के कारण छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए देश-विदेश के संस्थानों में दाखिला नहीं मिल पा रहा है। सरकारी नौकरी मिलना तो बहुत दूर की बात है। बताते चलें कि केन्द्र सरकार ने 28 जनवरी 2004 को बिहार अभियंत्रण कालेज को 18वें एनआइटी के रूप में अपग्रेड किया था। एनआइटी का दर्जा मिलते ही पटना विवि से मुक्त होकर संस्थान केन्द्र सरकार के अधीन हो गया हालांकि, दो साल तक पटना विवि ही परीक्षा और डिग्री देने का दायित्व संभालता रहा। इसके बाद संस्थान को डीम्ड विवि की मान्यता दे गयी। किंतु कद बढ़ने के साथ ही आर्किटेक्चर विभाग की बदकिस्मती शुरू हो गयी। 2008 में शिक्षकों एवं आधारभूत संरचना की कमी के कारण सीओए ने एनआइटी के आर्किटेक्चर कोर्स की मान्यता खत्म करते हुए इसे 2005 से ही लागू कर दिया। मान्यता न रहने के बावजूद संस्थान पूर्व की भांति आर्कि टेक्चर कोर्स में दाखिला लेता रहा(दैनिक जागरण,पनटा,21.9.11)।

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