मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

19 सितंबर 2011

दिल्लीःछात्रों के अनुपात में आधे हैं शारीरिक शिक्षक

आज कल हर कोई अपने बच्चों को पढ़ाई के साथ खेलकूद में भी आगे देखना चाहता है, लेकिन राजकीय स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र खेलकूद में निजी स्कूलों के छात्रों से टक्कर नहीं ले पा रहे हैं। कारण कोई और नहीं, राजकीय स्कूलों में छात्रों के अनुपात में शारीरिक शिक्षा शिक्षक (पीईटी) का अभाव है। स्थिति यह है कि राजधानी के 949 राजकीय स्कूलों में महज 1,014 शारीरिक शिक्षा शिक्षक तैनात हैं। इनकी संख्या छात्रों के अनुपात के हिसाब से कम से कम दोगुनी होनी चाहिए थी। राजधानी में कुल 949 राजकीय स्कूल हैं। एक-एक स्कूल में दो-दो हजार से अधिक छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। उन पर एक-एक शारीरिक शिक्षा शिक्षक (पीईटी) को छात्रों की खेल गतिविधियों का जिम्मा है। कई सहशिक्षा विद्यालय में जरूर छात्र एवं छात्राओं के लिए अलग-अलग महिला और पुरुष शारीरिक शिक्षा शिक्षक भी हैं, लेकिन वे भी हर स्कूल में नहीं हैं। वास्तविकता यह है कि एक शारीरिक शिक्षा शिक्षक एक साथ इतने बच्चों का बोझ उठाने में सक्षम नहीं है। यही कारण है कि एक शारीरिक शिक्षक स्कूल के इतने छात्रों की खेलकूद गतिविधियां ही नहीं करा पा रहे हैं। कुछ स्कूलों में शारीरिक शिक्षा शिक्षकों के पद ही खाली पड़े हैं, तो बालिका विद्यालय में महिला शारीरिक शिक्षा शिक्षक ही नहीं है। पूर्वी दिल्ली में कुल 108 राजकीय स्कूलों में सिर्फ 96 स्कूलों में शारीरिक शिक्षा शिक्षक हैं। उत्तरी पूर्वी जिले के 120 स्कूलों में सिर्फ 105 स्कूलों में शारीरिक शिक्षा शिक्षक पदस्थ हैं। दूसरे जिलों का हाल भी कुछ ठीक नहीं है। उत्तरी जिले के 58 स्कूलों में 69 शारीरिक शिक्षा शिक्षक नियुक्त हैं। उत्तरी पश्चिमी ए जिले के 103 स्कूलों में 115, उत्तरी पश्चिम बी जिले के 117 स्कूलों में 138, पश्चिम ए जिले के 57 स्कूलों में 65, पश्चिम बी जिले के 70 स्कूलों में 84, दक्षिण पश्चिम ए जिले के 45 स्कूलों में 55, दक्षिण पश्चिम बी जिले के 83 स्कूलों में 104 स्कूलों के पास ही शारीरिक शिक्षा शिक्षक हैं। दक्षिण जिले के 142 स्कूलों में 133, नई दिल्ली जिले के 5 स्कूलों में 8 एवं मध्य जिले के 41 स्कूलों में 42 स्कूलों में ही शारीरिक शिक्षा शिक्षक हैं। शारीरिक शिक्षा शिक्षक के पदों को बढ़ाने के लिए कई बार पीईटी शिक्षक विभाग से गुहार लगा चुके हैं। उत्तरी पूर्वी जिले के उपशिक्षा निदेशक कार्यालय के शिक्षा अधिकारी का कहना है कि स्कूलों में छात्रों की संख्या क्षमता से कहीं अधिक है, जिनका जिम्मा एक शारीरिक शिक्षा शिक्षक नहीं उठा सकता है(दैनिक जागरण,दिल्ली,19.9.11)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।