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14 सितंबर 2011

छत्तीसगढ़ःबदहाल है हिंदी अकादमी

हिंदी के विकास और प्रचार-प्रसार के लिए गठित छत्तीसगढ़ राज्य हिंदी ग्रंथ अकादमी सुविधाओं के लिए तरस रही है। गठन के लगभग पांच साल बाद भी किराए के भवन में संचालित अकादमी का स्थापना व्यय भी इस साल २५ लाख से घटाकर ५ लाख कर दिया गया है। केंद्र सरकार द्वारा एक बार ५० लाख रुपए अनुदान देने के बाद इसे दोबारा कोई सहायता नहीं दी गई। इसकी स्थिति भी देश में हिंदी की स्थिति की तरह ही है।


जानकारी के मुताबिक प्रदेश में जून २००६ में इसका गठन किया गया था। अकादमी में संचालक के साथ चार पदों की स्वीकृति दी गई है। राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के अधीनस्थ संचालित अकादमी को प्रतिवर्ष लगभग २५ लाख रुपए स्थापना व्यय के रूप में दिया जाता था। पिछले वर्ष राज्य शासन द्वारा अकादमी को कोई राशि नहीं दी गई। छत्तीसगढ़ राज्य हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संचालक रमेश नैयर के अनुसार इस वर्ष के लिए स्थापना व्यय की राशि मात्र पांच लाख रुपए देने संबंधी पत्र अकादमी को मिला है। हिंदी के कर्ताधर्ताओं के लिए यह हतोत्साहित करने वाली खबर है। अकादमी का स्थापना व्यय प्रतिवर्ष करीब १४ लाख रुपए है। शासन द्वारा इसमें की गई कटौती से अकादमी के कर्मचारियों को वेतन-भत्ते के लाले पड़ जाएंगे। 

शासन की मानें तो अकादमी के पास कार्य संचालन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण ऐसा किया गया है। हिंदी ग्रंथ अकादमी द्वारा महाविद्यालय से संबंधित पाठ्य एवं पाठ्यक्रम आधारित संदर्भ किताबें हिंदी में प्रकाशित करने का कार्य किया जाता है। इसके अलावा देशभर की सभी हिंदी अकादमी द्वारा प्रकाशित की जाने वाली किताबों की बिक्री भी की जाती है। इसके तहत आधार पाठ्यक्रम की किताबों पर १० प्रतिशत और अन्य विषयों की किताबों पर २५ प्रतिशत छूट दी जाती है। अकादमी के कार्य जैसे पुस्तक प्रकाशन जिसके अंतर्गत पांडुलिपी कंपोजिंग, छपाई, लेखकों की रॉयल्टी आदि का खर्च केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय वहन करता है। 

छत्तीसगढ़ हिंदी अकादमी चार सदस्यीय है। इनमें संचालक के अलावा एक सहायक संचालक, एक विक्रय सहायक और एक वाहन चालक है। बताते हैं कि चारों सदस्य अस्थायी हैं। स्थायी नौकरी नहीं होने के कारण गठन के बाद से लगभग आठ लोगों ने अकादमी की नौकरी छोड़ी है। जानकारी के मुताबिक अकादमी के नए भवन के लिए राजधानी रायपुर के पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय परिसर में करीब ६१ हजार वर्गफुट जमीन आवंटित की गई है। अकादमी द्वारा इसके लिए पहल की गई थी। अभी जिस भवन में अकादमी संचालित है, वह काफी जर्जर हो चुका है(कौशल स्वर्णबेर,नई दुनिया,दिल्ली,हिंदी दिवस,2011)

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