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22 सितंबर 2011

गुजरात हाईकोर्ट ने सभी भाषाओं में प्रवेश परीक्षा न लिए जाने पर केंद्र और राज्यों से जवाब मांगा

गुजरात हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकारों से क्षेत्रीय भाषाओं में प्रवेश परीक्षाएं लिए जाने के संबंध में जवाब मांगा है। एक जनहित याचिका में संविधान द्वारा मान्य सभी भाषाओं में प्रवेश परीक्षाएं कराने की मांग की गई है।

कार्यवाहक चीफ जस्टिस एएल दवे की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने इस मामले में सभी पक्षों से 20 अक्टूबर तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। जनहित याचिका में गुजराती साहित्य परिषद के कस्तूरभाई, रघुवीर चौधरी ने कहा है कि कई व्यावसायिक परीक्षाएं केवल अंग्रेजी और हिंदी में ली जातीं हैं, ऐसे में गुजराती भाषा में पढ़ाई करने वाले छात्र अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते। अत: यह व्यवस्था समानता के अधिकार पर कुठाराघात है, जबकि संघ लोक सेवा आयोग पहले से ही परीक्षार्थियों को क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा देने का विकल्प देता है। अदालत ने इस मामले में आईआईटी जेईई, अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा (एआईईईई), ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट (एआईपीएमटी), कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (सीएलटी), नेशनल एघ्टीट्यूट टेस्ट इन आर्किटेक्ट (एनएटीए) एवं चार्टर्ड एकाउटेंट कॉमन प्रोफिशिएंसी टेस्ट (सीएसीपीटी) को भी नोटिस जारी किया है(दैनिक भास्कर,अहमदाबाद,22.9.11)।

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