नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (एनआरएचएम) कर्मियों को दीवाली पर नौकरी पक्के होने का ‘गिफ्ट’ तो नहीं मिला लेकिन वेतन जरूर कट गया। नो-वर्क, नो-पे के आधार पर मिशन डायरेक्टर ने तनख्वाह काटने के आदेश सिविल सर्जनों को जारी कर दिए हैं। पिछले दफा भी सरकार ने इन कर्मियों का 25 दिनों का वेतन काटा था।
एनआरएचएम के तहत सेहत विभाग में 5340 कर्मचारी काम कर रहे हैं। इनमें डॉक्टर, स्टाफ नर्स, एएनएम, ईडीएसपी स्टाफ, आरएनपीसीपी व क्लेरिकल स्टाफ शामिल है।
सभी कर्मचारी पक्का करने की मांग को लेकर चार अक्तूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। कई कर्मियों ने चंडीगढ़ में भी डेरा डाला हुआ है। एनआरएचएम यूनियन, पंजाब ने वेतन काटने को सरकार की तानाशाही करार दिया है। उन्होंने कहा कि जब तक मांनें नहीं मान ली जाती तब तक सरकार की दोहरी नीतियों के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा।
एनआरएचएम यूनियन के जिला प्रधान विनय मल्हन के मुताबिक कर्मचारियों को पिछले माह भी सेहत विभाग से ‘धोखा’ मिला था। कर्मचारी आठ अगस्त से हड़ताल पर थे उनकी हड़ताल 25 दिन चली थी। सेहत मंत्री सतपाल गोसाईं ने हड़ताल खुलवाने के दौरान वेतन न काटे जाने का भरोसा दिया था, लेकिन बाद में वेतन काट दिया(दैनिक भास्कर,जालंधर,28.10.11)।
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