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21 अक्तूबर 2011

तीस लाख दबाने की जुगत में लविवि

..तो लखनऊ विश्वविद्यालय धीरे-धीरे दुकान की शक्ल लेता जा रहा है। बीएड को लेकर पहले ही काफी फजीहत झेल चुके अफसर अब प्रवेश लेकर पढ़ाई न करने वाले छात्रों की फीस में कटौती कर 30 लाख दबाने की जुगत में हैं। विश्वविद्यालय बीएड की फीस लौटाने में छात्रों से पांच हजार रुपये की कटौती कर रहा है उन्हें सिर्फ 25359 रुपये का ही ड्राफ्ट थमाया जा रहा है, वह भी महीनों चक्कर काटने के बाद। विश्वविद्यालय के अधिकारी 5000 रुपये की कटौती करने के लिए नियमों की अपने माफिक व्याख्या भी करने में जुटे हैं, जबकि उन सीटों पर बाद में दूसरे छात्रों को प्रवेश देकर फीस भी जमा करा ली गयी है। बीएड छात्रों का यह मामला 2010-11 का है। इस वर्ष की बीएड प्रवेश परीक्षा व काउंसलिंग लविवि ने करायी थी। इसमें करीब 600 छात्रों ने फीस जमा करने के बाद संस्थानों में प्रवेश नहीं लिया। इन छात्रों ने अपनी फीस लौटाने के लिए लविवि से लेकर शासन तक में गुहार लगायी। शासन के निर्देश पर विश्वविद्यालय फीस लौटाने के लिए तैयार हो गया, लेकिन कटौती के साथ और करीब 350 छात्रों की फीस अभी तक 5000 रुपये काट कर लौटा भी दी गयी है और 250 छात्रों की फीस अभी भी विश्वविद्यालय में लटकी है। विश्वविद्यालय इस फीस को प्रवेश प्रक्रिया में व्यय के नाम पर काट रहा है और विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी भी इसमें कुछ भी गलत नहीं मानते हैं। लविवि के वित्त अधिकारी राजवर्धन ने कहा कि यह विश्वविद्यालय के बीएड को लेकर बने नियमों में शामिल था और छात्र भी इस कटौती से वाकिफ हैं। हालांकि वह इस बात पर झल्ला गये कि छात्र को पूरी फीस लौटाने के नियम हैं, न कि फीस में कटौती करके। उल्लेखनीय है कि लविवि ने वर्ष 2010-11 की बीएड प्रवेश की काउंसलिंग प्रक्रिया में छात्र से 500 व 5000 दो ड्राफ्ट काउंसलिंग के लिए और कालेज आवंटित होने पर बची फीस 25359 रुपये जमा करायी थी। छात्र के पांच हजार रुपये बाद में कालेज के पक्ष में भेज देने थे, लेकिन दाखिला न लेने पर यानि कालेज की फीस जमा न करने पर छात्र की 5000 रुपये के ड्राफ्ट को जब्त करने का नियम बनाया, लेकिन फीस जमा करने के बाद दाखिला न लेने पर कटौती के बारे में कोई नियम नहीं है। यहीं से लविवि में खेल शुरू हो गया और छात्र को फीस लौटाने में 5000 की धनराशि जब्त करनी शुरू कर दिया। मालूम हो कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने इसी वर्ष जुलाई में देश के सभी विश्वविद्यालयों, संस्थानों और डीम्ड विवि को फीस कटौती किये बगैर लौटाने का आदेश भी जारी कर रखा है। लविवि के वित्त अधिकारी यूजीसी के इस आदेश को भी मानने के लिए तैयार नही हैं। इससे भी ज्यादा दिलचस्प यह कि दाखिला न लेकर फीस लौटाने की अर्जी देने वाले छात्रों की उसी सीट पर दूसरे अभ्यर्थी का प्रवेश हो चुका है और उसके फीस भी जमा करायी जा चुकी है। इस सबके बाद भी लविवि बीएड में प्रवेश लेकर दाखिला रद कराने वाले छात्र की जेब पर डाका डाल रहा है वह भी खुलेआम। नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले अधिकारी ही इसकी पैरोकारी करने में जुट गये हैं(कमल तिवारी,राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,21.10.11)।

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