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31 अक्तूबर 2011

छत्तीसगढ़ में विद्रोह विरोधी युद्ध प्रशिक्षण स्कूल खोलेगी थलसेना

थलसेना छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर के कोंडाईगांव में विद्रोह विरोधी युद्ध प्रशिक्षण स्कूल खोलने की योजना बना रही है। सूत्रों ने बताया कि स्कूल के लिए सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। स्कूल में अ‌र्द्धसैनिक बलों और पुलिस बलों को विद्रोह विरोधी और वन क्षेत्र में लड़ने का तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा। राज्य सरकार ने 800 करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्य वाली परियोजना के लिए कोंडाईगांव के निकट बड़ा भूखंड मुहैया कराया है। सूत्रों के अनुसार, इस स्कूल की स्थापना के बाद नक्सल विरोधी अभियानों में तैनात सभी अ‌र्द्धसैनिक बलों और राज्य के बलों को अभियान पर भेजने से पहले इस स्कूल में प्रशिक्षित किया जाएगा। थलसेना अब तक राज्य के बलों और अ‌र्द्धसैनिक बलों को कर्नाटक के बेलगाम और मिजोरम के वैरांगेट स्थित केंद्र में प्रशिक्षण देती आई है। इस नए स्कूल से नक्सल विरोधी अभियानों के लिए सभी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम एक छत के नीचे आ जाएंगे। थलसेना किसी भी नक्सल विरोधी अभियान में सीधे तौर पर भाग नहीं लेती, लेकिन उसे वन क्षेत्र में युद्ध लड़ने की क्षमता विकसित करने के लिए अ‌र्द्धसैनिक और राज्य के बलों को प्रशिक्षण की जिम्मेदारी दी गई है। सेना ने अ‌र्द्धसैनिक बलों और राज्य बलों के 2,000 से अधिक जवानों को इम्प्रोवाइज्ड विस्फोटक उपकरण से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया है। हमलों को अंजाम देने के लिए माओवादी इसका इस्तेमाल करते हैं। वर्ष 2006 से सेना और उसके विभिन्न केंद्रों में 60,000 से अधिक पुलिसकर्मी नक्सल विरोधी अभियानों का प्रशिक्षण ले चुके हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में मौजूदगी बढ़ाते हुए सेना ने छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में एक स्थायी प्रशिक्षण शिविर स्थापित किया है। जून में लखनऊ से सेना की पहली ब्रिगेड नारायणपुर भेजी गई थी। ब्रिगेड ने अगस्त में अपना प्रशिक्षण पूरा किया(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करकण,31.10.11)।

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