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02 नवंबर 2011

दिल्लीःनर्सरी में चार साल से कम उम्र के बच्चों के दाखिले पर रोक को याचिका दायर

राजधानी के विभिन्न गैर सरकारी सहायता प्राप्त निजी स्कूलों में नर्सरी क्लास में चार साल से कम उम्र के बच्चों का दाखिला होने का दावा करते हुए सोशल ज्यूरिस्ट संस्था ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में मांग की गयी है कि इस बाबत सरकार को निर्देश दिया जाए ताकि चार साल से कम उम्र के बच्चों के दाखिले पर रोक लगायी जा सके। दायर याचिका में सोशल ज्यूरिस्ट संस्था के सलाहकार व एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने यह भी मांग की है कि नर्सरी में बच्चों को किताबों के बोझ से न लादा जाए क्यों कि छोटी सी उम्र में उन पर मानसिक दबाव न बढ़े और उनका संतुलित विकास हो सके। हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि राजधानी में आम तौर से निजी स्कूलों में चार साल से कम उम्र के बच्चों का दाखिला किया जा रहा है जबकि इस बाबत हाईकोर्ट ने सितम्बर 2007 में सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए थे। याची सोशल ज्यूरिस्ट संस्था के सलाहकार व एडवोकेट अशोक अग्रवाल की तरफ से कहा गया कि हाईकोर्ट ने अपने पूर्व आदेश में अशोक गांगुली समिति की सिफारिशों को लागू करने का निर्देश दिल्ली सरकार को दिया था, लेकिन उस आदेश का पालन कराने में शिक्षा निदेशालय नाकाम रहा है। कहा गया कि उस आदेश में साफ तौर पर कहा गया था कि नर्सरी क्लास में दाखिले की उम्र कम से कम चार साल होगी ताकि पांच साल की उम्र के बाद बच्चे प्राथमिक विद्यालयों में पहली कक्षा में दाखिले के लिए तैयार हो सकें और उन्हें पूर्व प्राथमिक चरण में एक साल से अधिक समय तक स्कूल में पढ़ाई न करनी पड़े। सभी गैर सरकारी सहायता प्राप्त निजी स्कूलों को नर्सरी कक्षाओं में छात्रों को दाखिला देने के लिए चार साल से अधिक के समान आयु मापदंड का पालन करने के लिए निर्देश देने की मांग करते हुए याचिका में कहा गया है कि दिल्ली स्कूली शिक्षा अधिनियम, 1973 की धारा 16 के तहत वैधानिक प्रावधानों का पालन करना जरूरी है कि पांच साल से कम उम्र के किसी भी बच्चे को मान्यता प्राप्त स्कूल में दाखिला नहीं दिया जाना चाहिए। दायर याचिका में यह भी कहा गया कि बच्चों को नर्सरी क्लास में भारी बस्तों(किताबों) से न लादा जाए ताकि उनका संतुलित विकास हो सके। याचिकामें यह भी कहा गया कि दिल्ली सरकार मान्यता प्राप्त स्कूल (पूर्व प्राथमिक कक्षाओं में दाखिले की प्रक्रि या) संबंधी आदेश, 2007 की धारा 21 के अनुसार दिशा-निर्देश तैयार करने में विफल रही है। याचिका में कहा गया कि संविधान के मौलिक अधिकारों व दिल्ली शिक्षा अधिनियम 1973 व बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा पाने के हक का उल्लंघन करने पर सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। इसके मद्देनजर हाईकोर्ट सरकार को आवश्यक निर्देश दे ताकि कानून का पालन हो सके। हाईकोर्ट इस याचिका पर संभवत: कल सुनवाई करेगी(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,2.11.11)।

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