सिर्फ बिजनेस और कॉर्पोरेट घरानों के लिए सेवाएं मुहैया कराने के बजाय देश के शीर्ष प्रबंधन संस्थान आईआईएम अब कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली आदि क्षेत्रों के प्रबंधन की शिक्षा भी देंगे। ऐसा इन क्षेत्रों से बढ़ रही मांग के मद्देनजर किया जाएगा। इसके साथ ही अब आईआईएम की सोशल ऑडिटिंग भी होगी, ताकि उसकी गुणवत्ता में सुधार किया जा सके।
इस बात का फैसला बुधवार को आईआईएम के काउंसिल की बैठक में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के साथ लिया गया। इस बैठक में कई अहम फैसले लिए गए, जिसमें संस्थानों में दाखिले की प्रक्रिया को आसान करने, सीटों के भरने के बाद काउंसिलिंग का शेष विस्तृत लेखा जोखा सार्वजनिक करने और उसके आधार पर दूसरे प्रबंधन संस्थानों में दाखिला देने की छूट देने पर भी सहमति हुई। इसके बारे में सिब्बल ने बताया कि अब विश्व के शीर्ष प्रबंधन अध्यापकों को भी अपने नेटवर्क में छोड़ने की तैयारी हो गई है और इससे तमाम नए-पुराने आईआईएम तथा निजी संस्थानों को भी फायदा मिलेगा। इसे तैयार करने में टेलीकॉम मंत्रालय भी पूरी तैयारी करेगा। बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि सभी भारतीय प्रबंधन संस्थानों की हर तीन साल में प्रबंधतंत्र से बाहर से समीक्षा कराई जाएगी। यह सोशल ऑडिट होगा। इसका पूरा जोर स्तरीय शोध, पढ़ाई के उच्च स्तर पर होगा और यह सारे संस्थानों में पारदर्शी कार्यप्रणाली की गारंटी करेगा। इन संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने और यहां विश्वस्तरीय फैक्लटी तथा छात्रों को जोड़ने के लिए जल्द ही आईआईएम दुनिया में रोड शो करेंगे, ताकि दुनिया को बताया जा सके कि उनके पास क्या कुछ देने को है। सिब्बल ने कहा कि आज मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में, स्वास्थ्य के क्षेत्र में, गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में प्रबंधन गुरु की सख्त जरूरत है और इस दिशा में आईआईएम दक्षता प्रदान करेंगे। इस पर रणनीति तय करने के लिए सिब्बल ने एक विशेषज्ञ समूह भी गठित करने की बात कही, जो यह रोपमैप बनाएगा कि देश की अर्थव्यवस्था में किन क्षेत्रों में प्रबंधन के गुरु चाहिए। उसके मुताबिक आगे का ब्लू प्रिंट तैयार होगा। सिब्बल ने कहा कि आज विदेशी छात्रों और अध्यापकों को आकर्षित करने के लिए आईआईएम के पास विश्वस्तरीय सुविधाएं नहीं हैं। इसके लिए आईआईएम को खर्चे का ब्यौरा तैयार करने को कहा गया है। इसके बाद १२वीं पंचवर्षीय योजना में इसके लिए धन आवंटित करने का प्रयास किया जाएगा। आईआईएम में शोध को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने अतिरिक्त पीएचडी करने के लिए ९५ करोड़ रुपए की मंजूरी दी है(नई दुनिया,दिल्ली,3.11.11)।
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