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05 दिसंबर 2011

हजार रुपये होगी न्यूनतम पेंशन!

बीपीएल को 32 रुपये रोजाना पर हायतौबा करने वाले भी यह जानकर हैरत में पड़ जाएंगे कि ईपीएफ में अंशदान करने के बाद कई पेंशनभोगी महज 12 रुपये की मासिक पेंशन पाते हैं। कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) का प्रबंधन करने वाला कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अब इस सूरत को बदलने जा रहा है। इसके तहत ईपीएफओ अंशदाताओं के लिए न्यूनतम मासिक पेंशन 1,000 रुपये तय कर सकता है। इस मुद्दे पर केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड (सीबीटी) की 23 दिसंबर को होने वाली बैठक में चर्चा की जाएगी। मामले से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि केंद्रीय श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता वाले ईपीएफओ के इस शीर्ष निकाय की बैठक में यह फैसला संभव है। संगठित क्षेत्र के साढ़े चार करोड़ से ज्यादा कर्मचारी इस संगठन के सदस्य हैं। ईपीएफओ 3.5 लाख करोड़ रुपये के कोष का प्रबंधन करता है। ईपीएफओ के आंकड़े के अनुसार मार्च, 2010 तक संगठन से जुड़े 35 लाख पेंशनभोगी थे। इनमें से 14 लाख लोगों को 500 रुपये से भी कम मासिक पेंशन मिल रही थी। वहीं, हर महीने एक हजार रुपये की पेंशन पाने वाले अंशदाताओं की संख्या सात लाख है। ताज्जुब की बात यह है कि कुछ पेंशनभोगियों को मासिक पेंशन के रूप में केवल 12 और 38 रुपये भी मिल रहे हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने एक हलफनामे में उन लोगों को गरीबी की रेखा के नीचे यानी बीपीएल माना था, जिनकी रोजाना कमाई 32 रुपये से कम है। हिंद मजदूर सभा के सचिव एडी नागपाल ने कहा कि मौजूदा आसमान छूती महंगाई के कारण रहन-सहन की लागत बढ़ गई है। इसलिए न्यूनतम पेंशन 2,000 रुपये मासिक से कम नहीं होनी चाहिए। देश में वरिष्ठ नागरिकों को बगैर किसी अंशदान के 400 रुपये से 1,000 रुपये महीने पेंशन मिलती है। सेवाकाल के दौरान अपने अंशदान के बावजूद संगठित क्षेत्र में काम कर चुके लोगों को हजार रुपये भी नहीं मिलते। नियोक्ता एवं कर्मचारियों के प्रतिनिधि न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये हर महीने तय करने पर सहमत हैं, लेकिन अतिरिक्त फंड जुटाने के उपायों को लेकर अभी फैसला नहीं हो पाया है। एक अनुमान के मुताबिक न्यूनतम हजार रुपये की पेंशन को लागू करने के लिए अंशदाताओं को अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 0.63 प्रतिशत अतिरिक्त योगदान देना होगा। यह वृद्धि नियोक्ता द्वारा कर्मचारियों के पेंशन खाते में दिए जाने वाले योगदान 8.33 प्रतिशत और सरकार द्वारा योजना के तहत दिए जाने वाली 1.16 फीसदी की सहायता के अलावा होगी। अगर सरकार अतिरिक्त लागत वहन करने का निर्णय करती है तो कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में संशोधन की जरूरत होगी। ईपीएफओ के एक ट्रस्टी ने कहा कि यह संभव है कि अतिरिक्त बोझ बराबर-बराबर सरकार, कर्मचारी और नियोक्ता के बीच बांटने का निर्णय किया जाए। ट्रस्टी बोर्ड पेंशन के अलावा कुछ श्रेणियों खासकर कंस्ट्रक्शन क्षेत्र के कर्मियों के लिए बैंकिंग सेवा की तर्ज पर पासबुक जारी करने के प्रस्ताव पर भी चर्चा कर सकता है(दैनिक जागरण,दिल्ली,5.12.11)।

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