मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

17 दिसंबर 2011

छत्तीसगढ़ःमुस्लिम आरक्षण कभी नहीं रहा मुद्दा

छत्तीसग़ढ़ में मुस्लिम आरक्षण को लेकर अब तक न तो कोई आंदोलन चला और न ही यह मुद्दा किसी राजनीतिक दल के एजेंडे में शामिल रहा। छत्तीसग़ढ़ की कुल ढाई करोड आबादी में लगभग पंद्रह लाख आबादी अल्पसंख्यकों की है। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में देश के अल्पसंख्यकों की स्थिति जितनी दयनीय बताई गई है, उससे कहीं अच्छी व बेहतर छत्तीसग़ढ़ के अल्पसंख्यकों की शैक्षणिक, आर्थिक, राजनीतिक और प्रशासनिक स्थिति कही जा सकती है। अल्पसंख्यक वर्ग के लोग कई महत्वपूर्ण सरकारी पदों पर बैठे हैं।राज्य सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त भी इसी वर्ग के हैं। राजनीतिक क्षेत्र में भी कई अल्पसंख्यक सक्रिय हैं। प्रदेश भाजपा व प्रदेश कांग्रेस के महत्वपूर्ण पदों पर अल्पसंख्यकों महत्व दिया गया है।


प्रदेश सरकार ने भी अल्पसंख्यकों के आर्थिक, सामाजिक व शैक्षणिक विकास के लिए कई योजनाएं संचालित कर रही हैं। वक्फ संपत्तियों को सुरक्षित रखने के लिए छत्तीसग़ढ़ राज्य वक्फ बोर्ड के गठन का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। इसके माध्यम से करोडों की बेशकीमती वक्फ संपत्तियों को कब्जामुक्त कराया जा रहा है। यहां मदरसा बोर्ड का गठन कर विभिन्न मदरसों को राज्य सरकार द्वारा अनुदान दिया जा रहा है। इसके अलावा राज्य हज कमेटी के माध्यम से हज यात्रियों को बीमा आदि सुविधा मुहैया कराई जा रही है। उर्दू के विकास के लिए उर्दू अकादमी का गठन किया गया है, जिसमें अध्यक्ष व उपाध्यक्ष सहित एक दर्जन से अधिक सदस्यों की नियुक्तियां की गई हैं। 

छत्तीसग़ढ़ में किसी भी मुस्लिम आरक्षण किसी भी राजनीतिक दल के एजेंडे में नहीं रहा। त्रिस्तरीय पंचायत से लेकर विधानसभा व लोकसभा चुनावों में राजनीतिक दलों को खास नफा-नुकसान नहीं हुआ। अब तक तय प्रारूप के मुताबिक मुस्लिम आरक्षण पिछ़ड़ा वर्ग के कोटे से ही दिया जाएगा, लेकिन इसे लेकर छत्तीसग़ढ़ में ओबीसी वर्ग के नेताओं में कोई खास प्रतिक्रिया नहीं है। ओबीसी नेताओं का कहना है कि आरक्षण केंद्र का मामला है। यदि ओबीसी कोटे से मुस्लिमों को आरक्षण दिया जाता है तो इससे इस वर्ग को खास फर्क नहीं प़ड़ेगा। सभी वर्ग को आबादी और उनकी आर्थिक-सामाजिक स्थिति के आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए। मुस्लिम आरक्षण को लेकर छत्तीसग़ढ़ के के मुसलमानों के बीच कोई आंदोलन देखने को नहीं मिला है। मुस्लिम आरक्षण से यहां राजनीतिक दलों को नफा-नुकसान होने की संभावना कम है(भोलाराम सिन्हा,नई दुनिया,11.12.11)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।