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17 दिसंबर 2011

राजस्थानःमुसलमानों के लिए ओबीसी के अंदर अलग से आरक्षण की मांग

राजस्थान के मुसलमान कहते हैं कि उनकी हालत देश के दूसरे इलाकों में रह रहे मुसलमानों से कहीं ज्यादा बदतर है। राज्य मिल्ली कौंसिल के चेयरमैन अब्दुल कय्यूम अख्तर की मानें तो सच्चर कमेटी की रिपोर्ट से भी ज्यादा यहां हालात बदतर हैं। राजस्थान में मुसलमानों की आबादी करीब ८० लाख मानी जाती है जो कि यहां की कुल आबादी का करीब १२-१३ फीसद हिस्सा है लेकिन यह तबका बदहाली की जिंदगी जीने को मजबूर है। अब्दुल कय्यूम अख्तर के मुताबिक राजस्थान में केवल दस फीसदी मुसलमनों की माली हालत ठीक कही जा सकती है। इसी तरह मुसलमानों में तालीम की हालत भी बदतर है। यहां के मुसलमानों में केवल एक फीसदी तबका ही उच्च शिक्षा हासिल करने में कामयाब रहा है। केवल ३० से ४० फीसद मुसलमान ही प़ढ़े-लिखे कहे जा सकते हैं। राजस्थान में दो आईपीएस और दो ही आईएफएस अफसर मुसलमान हैं जबकि राजस्थान प्रशासनिक सेवा के ८९९ अफसरों में सिर्फ २६ ही इस वर्ग से हैं। राजस्थान विधानसभा की दो सौ विधायकों की संख्या में केवल ११ मुसलमान हैं जबकि एकमात्र सांसद अश्क अली टाक राज्यसभा से हैं। राज्य में ओबीसी का कोटा २१ फीसदी है जबकि देश में यह २७ प्रतिशत है। मुसलमानों को ओबीसी के कोटे से ही आरक्षण दिया जा रहा है। मुस्लिम समुदाय का कहना है कि मुसलमान ओबीसी में शामिल अन्य जातियों के मुकाबले प्रत्येक दृष्टि से पिछ़ड़ा हुआ है ऐसे में उसे ओबीसी के अंदर अलग से पांच प्रतिशत का आरक्षण दिया जाना चाहिए। राजस्थान ओबीसी कमीशन के अध्यक्ष रहे सत्यनारायण सिंह कहते हैं ओबीसी में निरंतर लाभार्थियों का जु़ड़ाव तो हो रहा है लेकिन छंटनी नहीं हो रही। दूसरी तरफ ५० प्रतिशत से अधिक आरक्षण देने पर रोक है। ऐसे में ओबीसी के तो और टुकड़े होते चले जाएंगे। वहीं मुसलमान कहते हैं कि जो पार्टी उनको आरक्षण देगी वे उसके साथ जाएंगे। ऐसे में कांग्रेस फायदे में नजर आ रही है। हालांकि राजस्थान में मुस्लिम आरक्षण किसी समय भी किसी भी राजनीतिक दल के एजेंडे मे नहीं रहा न ही किसी पार्टी ने इसे अपने चुनाव घोषणापत्र में शामिल किया लेकिन राजस्थान के मुसलमानों का एक वर्ग करीब एक दशक से इस मुद्दे के लिए अपना आंदोलन चलता आ रहा है। यद्यपि वह इतना मुखर नहीं रहा। मुस्लिम आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक मोहम्मद रफीक बताते हैं कि समिति सन २००२ से अपना आंदोलन चला रही है। पहले समिति की मांग आबादी के हिसाब से आरक्षण दिए जाने की थी अब ओबीसी कोटे में पांच फीसदी अलग से कोटा दिए जाने की मांग है। मिल्ली कौंसिल के अब्दुल कय्यूम अख्तर बताते हैं कि आरक्षण के मसले पर कौंसिल २१ लाख दस्तखतों का एक ज्ञापन केंद्र सरकार को भेजने की तैयारी कर रही है(कपिल भट्ट,नई दुनिया,11.12.11)।

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