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28 मई 2012

महाराष्ट्रःफिर गणित के तिलिस्म में फंसे 12वीं के छात्र

महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षा मंडल की बारहवीं कक्षा में अधिकतर विद्यार्थी गणित व गणित से जुड़े विषयों में अनुत्तीर्ण हुए हैं। हर साल हजारों विद्यार्थी केवल गणित की वजह से परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाते हैं, इस बार भी यही हाल देखा देखा गया। सत्र 2011-12 में 1, 47, 617 विद्यार्थी परीक्षा में बैठे थे, उनमें से 1, 01, 060 विद्यार्थी ही उत्तीर्ण हो पाए। 46, 557 विद्यार्थी अनुत्तीर्ण रहे। इनमें से अधिकतर विद्यार्थी गणित की वजह से अच्छे अंक नहीं ला पाए या केवल इसी की वजह से अनुत्तीर्ण रहे। 

भ्रांतियां अधिक 
विषय से जुड़े शिक्षकों ने बताया कि पहले से ही गणित के बारे में गलत भ्रांतियां विद्याथिर्यों के मन में बठा दी जाती है। विषय को कठिन बताकर डर पैदा कर दिया जाता है। कक्षा में अधिक विद्यार्थी होने से शिक्षक भी प्रत्येक पर विशेष ध्यान नहीं दे पाते हैं। दिमागी कसरत अधिक होने से कई विद्यार्थी इसे पूरी तरह से समझ नहीं कर पाते हैं और टालमटोली करने लग जाते है। वर्तमान में देखा जा रहा है कि दसवीं या बारहवीं में पहुंचनेवाले विद्यार्थी को चौथी कक्षा में सिखाई जानेवाली जोड़ने, घटाने की प्रक्रिया भी नहीं आती है, फिर गुणा व भाग तो दूर की बात हो जाती है। विद्यार्थियों को आठवीं तक लगातार उत्तीर्ण कराने की प्रक्रिया भी इसमें जिम्मेदार है। पहले जो विद्यार्थी गणित में उत्तीर्ण होने के लिए मेहनत किया करते थे, अब वो इसे अधिक महत्व भी नहीं दे रहे हैं। आगामी दिनों में गणित और डराने वाला साबित हो सकता है। 

अभ्यास की कमी 
गणित के शिक्षकों ने बताया कि किसी भी गणित को हल करने की विधि होती है। उसी के मुताबिक उत्तर निकालनेवाले विद्यार्थियों को ही पूरे अंक प्राप्त हो सकते हैं। विधि को समझने व दिमाग में बठाने के लिए उसका बार-बार अभ्यास जरूरी होता है, दूसरे विषयों की तरह इस पर नजर घुमाने या रटने से गणित हल कर पाना कठिन हो जा रहा है। कई विद्यार्थियों को बोलते सुना है कि पढ़ते समय विषय काफी सरल लगता है, लेकिन जब पेपर में लिखने की बारी आती है तो याद नहीं आता है, इसकी मुख्य वजह जवाब को लिखकर न देखने की आदत है। 

सीधे उत्तर की तलाश 
शिक्षकों ने बताया कि वर्तमान दौर प्रतियोगी परीक्षाओं का है। ऐसे में गणित की विधि पर विद्यार्थी अधिक ध्यान नहीं दे रहे हैं। वे प्रतियोगी परीक्षाओं में तो अच्छे अंक ला रहे हैं, लेकिन मंडल की परीक्षाओं में अच्छे अंक नहीं ला पा रहे हैं। विद्यार्थी सीधे उत्तर की तलाश में होते हैं, ऐसे में वे सवाल का जवाब तो ला लेते हैं, लेकिन विधि सही नहीं होने से उनके अंक कट जाते हैं। ट्युशन क्लासेस में भी विद्यार्थियों पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है, शिक्षक केवल पढ़ाते हैं, विद्यार्थी कितना समझ रहे हैं और कितना अभ्यास कर रहे हैं, इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता है(दैनिक भास्कर,नागपुर,28.5.12)।

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